बाराबंकी:कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले से राम मंदिर का रास्ता तो साफ हो गया, लेकिन ट्रस्ट में 11 में से 9 लोग विश्व हिंदू परिषद से संबंध रखने वालों को शामिल किया गया है. यह आरएसएस और भाजपा की सीधी दखलअंदाजी होगी.
बाराबंकी: RSS और ओवैसी की AIMIM दोनों समाज को बांटने का काम करते हैं: पीएल पुनिया
AIMIM नेता वारिस पठान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि, RSS और ओवैसी की AIMIM दोनों समाज को बांटने का काम करते हैं.
गुजरात में दलितों के ऊपर हो रहे हैं हमले
राजस्थान के नागौर में दलित के ऊपर हुए अत्याचार के मामले में कहा कि, यह भाजपा के गुजरात मॉडल से आई हुई सामंतवादी प्रथा है. पूरे भारत में दलितों पर अत्याचार होने के बाद जो मुकदमे दर्ज होते हैं, उसमें सजा पाने वालों की संख्या बहुत कम है. सबसे ज्यादा हमले दलितों के ऊपर गुजरात में होते हैं. राजस्थान के नागौर में भाजपा की सरकार के दौरान भी हमला हुआ था, लेकिन तब सख्त कार्रवाई नहीं हुई थी और इस बार की राजस्थान सरकार ने कड़ा संदेश देते हुए कार्रवाई की है. आने वाले समय में इसके परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
ओवैसी की पार्टी और आरएसएस विचारधारा एक है
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायक और प्रवक्ता वारिस पठान के 15 करोड़ के और 100 करोड़ पर भारी पड़ने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. पीएल पुनिया ने कहा कि ओवैसी और उनकी पार्टी की विचारधारा तथा आरएसएस की विचारधारा समाज को बांटने वाली है. दोनों सामाजिक समरसता के माहौल को खराब करते हैं और इसके द्वारा राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करते हैं. इस तरह की बयानबाजी देश को तोड़ने वाली है इसकी मैं भर्त्सना करता हूं.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राष्ट्रवाद पर दिए बयान पर कहा कि यह उनकी विशेष प्रकार की व्याख्या है राष्ट्रवाद की. हमारे देश में पहले राष्ट्रवाद कि इस प्रकार की व्याख्या नहीं होती थी, लेकिन अब आरएसएस के लोग इस प्रकार की व्याख्या इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इनकी सोच हिटलर के फांसीवाद और मुसोलिनी के नाजीवाद से संबंध रखती हैं.
सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद का हो चुनाव
कांग्रेस पार्टी के नेता संदीप दीक्षित और शशि थरूर के बयान पर रणदीप सिंह सुरजेवाला की टिप्पणी पर बोलते हुए कहा कि आदरणीय राहुल गांधी जी ने अध्यक्ष का पद स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने पार्टी के अन्य लोगों के लिए इस पद पर अनुमति दी है. ऐसे में बेवजह की बयानबाजी की जगह सर्वसम्मति से अध्यक्ष के पद का चुनाव करना चाहिए. इस प्रकार से बेवजह बातचीत से पार्टी को कोई फायदा नहीं पहुंचने वाला है.