बाराबंकी: जिले में धान खरीद को लेकर चली आ रही समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. अभी तक धान बेचने को लेकर किसानों के आंदोलन से जिला प्रशासन जूझ रहा था. वहीं अब एक नई समस्या आ जाने से जिला प्रशासन हलकान है. दरअसल, राइस मिलर्स ने केंद्रों से धान उठाने से हाथ खड़े कर दिए हैं तो वहीं पीसीएफ केंद्रों के प्रभारियों ने धान खरीद रोक दी है.
जानकारी देते राइस मिलर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष. राइस मिलर्स क्यों हैं आक्रोशित
सीएमआर यानी कस्टम मिल्ड राइस देने और धान की टूटन से परेशान राइस मिल मालिकों ने धान कुटाई और केंद्रों से धान का उठान करना बंद कर दिया है. यह समस्या हाइब्रिड धान को लेकर पैदा हुई है. दरअसल, हाइब्रिड धान में टूटन 50 फीसदी के करीब हो रही है और रिकवरी 57 फीसदी हो रही है, जबकि इन्हें 67 फीसदी सीएमआर देना है. केंद्रों पर हाइब्रिड धान ही खरीदा जा रहा है और प्रशासन द्वारा धान का उठान कर मिल मालिकों पर धान कुटाई का दबाव बनाया जा रहा है. ऐसे में मिल मालिकों में खासा आक्रोश है.
धान क्रय में लगी एजेंसी ने खरीद से खड़े किए हाथ
धान खरीदने में लगी एजेंसी पीसीएफ के केंद्रों पर धान डंप पड़ा है. इनका हाइब्रिड धान खरीदने का 35 फीसदी लक्ष्य भी पूरा हो गया है, लेकिन मिलर्स धान का उठान नहीं कर रहे. ऐसे में उन्होंने खरीद बंद कर दी है, जिससे किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. इनका कहना है कि जगह नहीं है तो ऐसे में खरीद कैसे हो.
क्या कहना है जिला प्रशासन का
जिला प्रशासन भी मानता है कि इस बार हाइब्रिड धान में टूटन बहुत है. हालांकि अब हाइब्रिड धान खरीदने का लक्ष्य पूरा हो गया है. लिहाजा केंद्र प्रभारियों को कामन धान खरीदने के लिए कहा गया है. साथ ही मिलर्स को उठान करने के निर्देश दिए गए हैं. प्रशासन को उम्मीद है कि सब कुछ सामान्य हो जाएगा.
बहरहाल जिला प्रशासन और मिलर्स के बीच हुए समझौते के बाद संभावना जताई जा रही है कि केंद्रों पर डंप पड़े धान के उठान की समस्या खत्म होगी और किसानों के धान खरीद को लेकर चली आ रही एक बड़ी समस्या का निदान होगा.