बाराबंकी:आम की पैदावार करने के मामले में बाराबंकी का नाम लखनऊ के मलिहाबाद से कम नहीं है. कभी यहां ढाई सौ से ज्यादा किस्मों के आम पैदा होते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से दवाइयों के अंधाधुंध प्रयोग और पेड़ों के कटान से आम की किस्में खत्म होती जा रही हैं. वहीं पिछले सात वर्षों से लोग आम महोत्सव के जरिए जनमानस के साथ बाग मालिकान को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं.
- कभी बाराबंकी में कई किस्मों के आमों के बागान थे.
- बड़ागांव, मसौली, भयारा, रामनगर, सतरिख और फतेहपुर इलाकों में आम की पैदावार होती थी.
- करीब ढाई सौ किस्मों के आम यहां पैदा होते थे.
- बीतते वक्त के साथ प्रदूषित हो रहे पर्यावरण का असर इन बागों पर भी पड़ा.
- साथ ही इन आमों पर पेस्टिसाइड का भी असर पड़ने लगा.
- वहीं पेड़ों की कटाई से भी आम के पैदावार प्रभावित हुए.