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बाराबंकी: जेल में निरुद्ध MDM घोटाले के सातों आरोपियों पर लगा गैंगेस्टर - बाराबंकी ताजा समाचार

यूपी के बाराबंकी में पिछले दिनों हुए मिड डे मील घोटाले के मामले में जेल में बंद सात आरोपियों पर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन पर गैंगेस्टर की कार्यवाई की है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ये एक संगठित गिरोह है, जो आर्थिक अपराध करने का आदी है.

मिड डे मील घोटाले में सातों आरोपियों पर लगा गैंगेस्टर.

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Published : Nov 1, 2019, 7:47 AM IST

बाराबंकी:करीब दस महीने पहले शासन में बैठे अधिकारियों के होश उड़ा देने वाले एमडीएम (मिड डे मील) घोटाले में जेल में बंद सात आरोपियों पर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ये एक संगठित गिरोह है, जो आर्थिक अपराध करने का आदी है.

मिड डे मील घोटाले में सातों आरोपियों पर लगा गैंगेस्टर.

5 करोड़ रुपये का घोटाला
तकरीबन 10 महीने पहले एमडीएम में मिल रही गड़बड़ियों की शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी उदयभानु त्रिपाठी ने बीएसए वीपी सिंह को जांच करने के निर्देश दिए थे. बीएसए द्वारा जब इसकी गुप्त रूप से जांच शुरू की तो वो हैरान रह गए. मामले में लगभग 5 करोड़ रुपयों के घोटाले का आंकलन का पता चला.

घोटाले से मचा हड़कंप
एमडीएम के जिला समन्वयक राजीव शर्मा ने अपने साथी रहीमुद्दीन के साथ मिलकर यह सारी रकम स्कूल के खातों में भेजने की बजाय निजी और अपने चहेतों के खातों में भेज कर हड़प कर ली थी. एमडीएम में हुए इतने बड़े घोटाले को देख राजधानी लखनऊ तक हड़कंप मच गया था.

अधिकारियों को नहीं हुई खबर
बीएसए ने पिछले वर्ष 29 दिसम्बर को नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए दो मुख्य आरोपी राजीव शर्मा और रहीमुद्दीन को जेल पहुंचा दिया था. इस घोटाले का सबसे हैरान कर देने वाला पहलू ये था कि साल 2013 से घोटाला होता रहा और किसी भी अधिकारी को कानों कान खबर तक नहीं हुई.

अधिकारियों ने दिखाई गम्भीरता
सबसे बड़ी हैरानी तो यह कि एमडीएम जिला समन्वयक राजीव शर्मा की संविदा समाप्त हो गई थी. बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा उससे काम लिया जाता रहा. यही नहीं उसका राजदार और इस मामले का सहअभियुक्त रहीमुद्दीन तो कार्यालय में अवैध रूप से काम करता रहा और तत्कालीन अधिकारियों ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया.

अलग-अलग किया रुपयों का ट्रांसफर
कम्प्यूटर के एक्सपर्ट आरोपी रहीमुद्दीन ने बड़ी ही शातिराना ढंग से एमडीएम का 3 करोड़ 38 लाख रुपये अपने खाते में, 50 लाख रुपये अपनी प्रेमिका रोज सिद्दीकी के खाते में, 42 लाख रुपये अपनी दूसरी महिला मित्र साधना के खाते में, इसके अलावा 11 लाख रुपया रघुराज उर्फ किशन के खाते में ट्रांसफर कर लिया था.

गोलमाल में शामिल रहे लेखाधिकारी
इसके अलावा विभाग के कई कर्मचारी भी इस गोलमाल में शामिल रहे. पुलिस ने इस घोटाले की जांच साइबर सेल और क्राइम ब्रांच को सौंपी. विवेचना के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात हेड क्लर्क अखिलेश कुमार शुक्ला और वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय के लेखाकार असगर मेहंदी को भी क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया गया था.

अपराधियों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई
इस तरह से सातों घोटाले बाज गैंग लीडर राजीव शर्मा, रहीमुद्दीन, रघुराज सिंह, रोज सिद्दीकी, साधना, अखिलेश शुक्ल और असगर मेहंदी जेल में निरुद्ध हैं. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस जांच में पाया गया कि ये एक संगठित गिरोह है, जो आर्थिक अपराध करने के आदी हैं. लिहाजा इनके खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है.

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