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बाराबंकी: धरना दे रहे स्वच्छाग्राही की हालत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन को धरातल तक पहुंचाने वाले स्वच्छाग्राहियों के साथ छलावा हुआ है. बाराबंकी में सरकार से मांगों को लेकर धरना दे रहे स्वच्छाग्राहियों ने शासन-प्रशासन पर यह आरोप लगाए हैं. इसी दौरान एक स्वच्छाग्राही की हालत अचानक बिगड़ गई.

सफाईकर्मियों ने सरकार के खिलाफ किया विरोध.

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Published : Nov 6, 2019, 12:05 PM IST

बाराबंकी:अपने मानदेय की मांग को लेकर पिछले एक हफ्ते से धरना दे रहे स्वच्छाग्राहियों में से एक की हालत मंगलवार को अचानक बिगड़ गई. आनन-फानन में बीमार स्वच्छाग्राही को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. धरना दे रहे स्वच्छाग्राही बिना मांगें पूरी हुए किसी भी कीमत पर धरना खत्म करने को राजी नहीं हैं. इनका आरोप है कि 30 अक्टूबर से ये लोग क्रमिक धरने पर बैठे हैं, लेकिन मांगें पूरी करना तो दूर कोई इनका हाल जानने तक नहीं आया.

स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने वाले स्वच्छाग्राहियों के साथ छलावा.

स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने वाले स्वच्छाग्राहियों के साथ छलावा
स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर गांव में एक स्वच्छाग्राही की नियुक्ति की गई थी. इनका काम था कि गांवों में जाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करें. साथ ही शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित करें. इनसे नियुक्ति के समय कहा गया था कि हर सर्वे पर इन्हें दो सौ रुपये दिए जाएंगे. लिहाजा स्वच्छाग्राहियों ने गांवों में जाकर लोगों को शौचालय बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया. वहीं पंचायत विभाग के अधिकारियों ने इनसे कहा था कि शौचालय निर्माण के समय 75 रुपये और निर्माण के बाद उसका प्रयोग शुरू होने पर इन्हें 75 रुपये और मिलेंगे. यही नहीं गांव के ओडीएफ घोषित हो जाने पर इनको 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने की भी बात कही गई थी.

स्वच्छाग्राहियों का नहीं किया गया भुगतान
आंदोलनकारी स्वच्छाग्राहियों ने कहा कि वर्ष 2017 से आज तक उनको कुछ भी भुगतान नहीं किया गया. इन्होंने कहा कि जिले की सभी 1166 ग्राम पंचायतें ओडीएफ हो चुकी हैं, लेकिन इनका भुगतान नहीं किया गया. पीड़ित स्वच्छाग्राहियों ने कहा कि पीएम मोदी की मंशा को उन लोगों ने अपनी जिम्मेदारी समझ कर पूरा किया, लेकिन उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है.

महिलाओं ने भी बढ़ाया स्वच्छ भारत मिशन को आगे
महिला स्वच्छाग्राहियों ने कहा कि गांवों में जाकर उन्होंने महिलाओं को शौचालय के लिए न केवल प्रेरित किया, बल्कि शौचालय निर्माण भी करवाये, लेकिन किसी ने उनकी मेहनत पर ध्यान नहीं दिया. अब मजबूरन जिले के स्वच्छाग्राहियों ने 30 अक्टूबर से नगर के गन्ना संस्थान परिसर में धरना शुरू कर दिया.

अधिकारियों ने नहीं जाना स्वच्छाग्राहियों का हाल
आरोप है कि एक हफ्ते से ये लोग धरना दे रहे हैं, लेकिन मांगे मानना तो दूर प्रशासन का कोई भी अधिकारी इनका हाल तक जानने नहीं आया. वहीं मंगलवार को धरना दे रहे स्वच्छाग्राही विनोद कुमार की अचानक तबियत बिगड़ गई. जिसे आनन-फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. पीड़ित स्वच्छाग्राहियों का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए बिना मांगें पूरी हुए वे धरने को खत्म नहीं करेंगे.

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