बाराबंकी: मधुमक्खी पालन के रोजगार से लोगों को जोड़कर उन्हें स्वालम्बी बनाने की अनोखी पहल की जा रही है. जिले के पुलिस अधीक्षक इस मुहिम से ग्रामीण इलाकों के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बड़ा रहे हैं. उनके इस कदम से अवैध धंधों में लिप्त लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर है. इसके तहत उन्होंने हर थाने और पुलिस चौकियों में मधुमक्खी पालन शुरू कराया है.
पुलिस चौकियों में मधुमक्खी पालन आत्मनिर्भर बनाने की पहल
जिले के थानों और चौकियों पर मधुमक्खी पालन कराकर भटके लोगों को रोजगार द्वारा आत्मनिर्भर बनाने और उससे होने वाली आय को पुलिस कल्याण में खर्च करने की पुलिस अधीक्षक की मंशा परवान चढ़ने लगी है. ढाई महीने पहले शुरू की गई इस पहल की सराहना के साथ हरी झंडी दिखाकर एडीजी जोन ने सभी थानों के लिए मधुमक्खी के बक्से को रवाना किया. दरअसल, इसके लिए उन्होंने मधुमक्खी वाले निमित सिंह से मुलाकात कर चौकी पर मधुमक्खी पालन की योजना बनाई. इस रोजगार से होने वाली आय एक फंड के रूप में इकट्ठा होगी, जिससे थानों और चौकियों की आवश्यताएं पूरी होंगी.
मधुमक्खी पालन के लिए किया गया प्रशिक्षित
डेढ़ महीने पहले मधुमक्खी पालन के लिए सभी थानों और चौकियों पर तैनात 4-4 चौकीदारों को बाकायदा प्रशिक्षित किया गया. इसके बाद उन्हें 10-10 बॉक्स देकर थानों के लिए रवाना किया गया. साथ ही इनके देखभाल की जिम्मेदारी दी गई.
निमित का काम देख प्रभावित हुए एसपी
निमित सिंह से हुई मुलाकात के बाद मधुमक्खी पालन के काम की उनकी लगन देख पुलिस कप्तान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हर थाने और चौकियों में मधुमक्खी पालन का फैसला कर लिया. पुलिस अधीक्षक का मानना है कि इससे न केवल थाने स्वावलम्बी होंगे, बल्कि यहां रहने वाले स्टॉफ को शुद्ध शहद भी मिलेगा और इसकी अर्निंग से एक फंड भी तैयार होगा, जिसे थाने के मेंटिनेंस के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
कौन हैं निमित सिंह
मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले 29 साल के युवा निमित सिंह ने साल 2014 में अन्ना मलाई यूनिवर्सिटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली, लेकिन इंजीनियरिंग उन्हें रास नहीं आई. उन्होंने नौकरी की जगह लीक से अलग हटकर कुछ नया करने की ठानी. लिहाजा उन्होंने हनी बी फार्मिंग का मन बनाया. पिता लखनऊ के मशहूर शल्य चिकित्सक डॉ. केएन सिंह से अपने स्टार्ट-अप को शेयर किया, तो वे हैरान हो गए. बेटे के आत्मविश्वास को देखकर उन्होंने निमित का हौसला बढ़ाया. इसके बाद निमित ने दोस्त राजीव मिश्र के साथ मिलकर 'रॉयल हनी एंड बी फार्मिंग' नाम की एक सोसाइटी बनाई और फिर पीछे मुड़कर फिर कभी नहीं देखा.
मधुमक्खियों और शहद पर किया शोध
सोसाइटी बनाने के बाद निमित ने पूरे साल भर में होने वाले पेड़-पौधों और उनसे निकलने वाले शहद की गहन स्टडी की. इसके बाद उन्होंने पहले सीतापुर फिर लखनऊ में यूनिट लगाकर मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इसके बाद इनकी रॉयल हनी कम्पनी का उत्पादन बढ़ने लगा. धीरे-धीरे इन्होंने कई प्रयोग किए, जिसका नतीजा है कि इन्होंने शहद के आठ फ्लेवर तैयार कर डाले. नीम, सरसों, अजवाइन, जामुन, यूकेलिप्टस, आम, लीची और फूलगोभी फ्लेवर के शहद उन्होंने तैयार किए. निमित शहद निकालने के बाद बचे मोम के भी प्रोडक्ट्स तैयार करते हैं, जिसमें बी वैक्स क्रीम, बी वैक्स सोप और बी वैक्स कैंडल शामिल है.
तराई का एक गांव लिया गोद
निमित ने रामनगर की तराई का एक गांव चैनपुरवा जहां 80 घर हैं, उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए गोद ले लिया. यहां के 3 घरों को छोड़कर बाकी के लोग अवैध देसी शराब बनाने के काम से जुड़े थे, लेकिन अब निमित से ट्रेनिंग लेकर मोमबत्तियां बनाते हैं.
पुलिस कप्तान भी हुए कायल
निमित सिंह से मुलाकात के बाद जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी काफी प्रभावित हुए. उन्होंने भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने की योजना बनाई.