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'बाल खींचकर और लाठी के दम पर बस में बैठाया था', बाराबंकी हादसा में बच गये लोगों ने बयां किया दर्द

रात के अंधेरे में हुए हादसे का खौफ जिंदा बच गये लोगों में अब भी झलक जाता है. बाराबंकी हादसे (Barabanki Accident) के बाद बच गये लोग बताते हैं कि भीषण टक्कर के बाद सड़क पर चीख-पुकार मच गयी थी. लेकिन, हादसे के पहले का सच भी उतना ही स्याह है. यहां पढ़िए हादसे के पहले और बाद की पूरी कहानी, पीड़ितों की जुबानी...

Barabanki Road Accident
Barabanki Road Accident

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Published : Jul 28, 2021, 5:55 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 10:46 PM IST

बाराबंकी : मंगलवार की रात बाराबंकी में हुए भीषण सड़क हादसे (Barabanki Road Accident) में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसा मंगलवार की रात करीब डेढ़ बजे हुआ. हरियाणा से बिहार जा रही बस उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट थाना इलाके में रात के वक्त खराब हो गयी. ड्राइवर बस को किनारे खड़ी कर उसे ठीक करवाने की कोशिश में जुटा था.

बस के ड्राइवर ने यात्रियों को बताया कि बस के ठीक होने में वक्त लगेगा. इसके बाद कुछ लोग बस के किनारे बैठ गये तो कुछ लोग सड़क पर ही सो गये. वक्त करीब रात के डेढ़ बजे का हो चुका था. इसी दौरान लखनऊ की ओर से तेज रफ्तार में आ रहे एक ट्रक ने बस में जोरदार टक्कर मार दिया. टक्कर इतनी जोरदार थी कि अधिकांश की मौत मौके पर ही हो गयी.

हरियाणा के प्रेम प्रसाद सिंह भी उसी बस में सवार थे. वह बिहार के सुपौल (Supaul) जा रहे थे. उनके मुताबिक बस में 140 लोग सवार थे. स्लीपर के एक बर्थ पर 6-6 लोगों को बिठाया गया था. एक यात्री से 1200-1500 रुपये तक किराया लिया गया था. मौके पर पहुंची पुलिस ने भी जानकारी दी कि दो बसों के बराबर यात्री इस बस में सवार थे.

पीड़ित परिजन

हादसे के बारे में बताते हुए चश्मदीद प्रेम प्रसाद सिंह कहते हैं कि बस का एक्सेल टूट गया था. ड्राइवर ने मरम्मत के लिए मैकेनिक से बात की. तब मैकेनिक ने कहा कि तेज बारिश की वजह से वह तुरंत नहीं आ सकता. तब ड्राइवर ने बस को रास्ते में किनारे खड़ा कर दिया.

प्रेम प्रसाद सिंह के मुताबिक कुछ लोग बस से नीचे उतर कर वहीं खड़े थे और कुछ बैठे थे. कुछ लोग सड़क पर सो रहे थे. तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही देर में मौत वहां पहुंचने वाली है. इसी बीच तेज रफ्तार से आ रहे ट्रक ने बस को जोरदार टक्कर मारते हुए उसे कुछ दूर तक घसीटते हुए ले गया. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि अचानक किसी को कुछ समझ ही नहीं आया. जो लोग बस के किनारे बैठे थे या सो रहे थे, उनको संभलने का मौका भी नहीं मिला. ट्रक, बस को घसीटते हुए कुछ दूर तक ले गया, जिससे बस यात्रियों के ऊपर चढ़ गयी. कई लोग बस के नीचे दब गये.

बस में जो लोग सवार थे वो पंजाब और हरियाणा में किसानी का काम करने गये थे. काम पूरा कर वह अपने घर बिहार वापस लौट रहे थे.

सड़क हादसे के बाद कार्रवाई में जुटी पुलिस

रात के वक्त हुए हादसे ने मुसीबत और बढ़ा दी थी. टक्कर की आवाज सुनकर आसपास के लोग भी सहम गये थे. घटनास्थल पर हर तरफ चीख-पुकार मच गयी थी. जो बच गये थे वह अपनों की तलाश करने लगे थे.

हादसे में अपना भाई खो चुके फागुनी साहनी ने बताया कि सोमवार को अपने साथियों के साथ वह अंबाला में बस में सवार हुए थे. बस में यात्रियों की भारी भीड़ को देख फागुनी और उनके साथी बैठने के लिये राजी नहीं हुए. इसके बाद बस के परिचालक और उनके गुर्गों ने सभी लोगों को लाठियों के बल पर बस में जबरदस्ती बैठा दिया. फागुनी कहते हैं कि गाली-गलौज और मारपीट के दम पर उन लोगों को बस में जबरदस्ती बैठाया गया था. हादसे में फागुनी साहनी के भाई मोनू साहनी की मौत हो गयी.

बस में सवार एक और यात्री राजेश मुखिया बताते हैं कि बस में एक-एक सीट पर सात-सात लोगों को जबरदस्ती बैठाया गया था. हादसे में राजेश मुखिया के रिश्तेदार की भी मौत हो गयी.

एक और यात्री भरत सदा ने भी इस बात की पुष्टि की कि बस में ठसाठस भरे लोगों को देखकर उन्होंने यात्रा करने से मना कर दिया था. लेकिन भरत और उनके साथियों को जबरन बस में ठूंस दिया गया. जिस किसी ने बस में बैठने का विरोध करने की कोशिश की उसके बाल खींचते हुए पकड़कर बस में बैठा दिया गया.

यात्रियों के मुताबिक बस के ओवरलोड होने की वजह से ही उसका एक्सेल टूटा था. अगर बस के चालक और परिचालक ने लापरवाही नहीं की होती तो इतने लोगों की जान नहीं जाती.

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Last Updated : Jul 28, 2021, 10:46 PM IST

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