बाराबंकी: जिले के सिरौलीगौसपुर तहसील स्थित कोटवा धाम में सतनामी संप्रदाय का 350साल पुराना मंदिर आज भी स्थित है. यहां पर गुरु पूर्णिमा से लेकर सप्तमी तक लाखों श्रद्धालु कई प्रदेशों से बाबा जगजीवन दास के मंदिर में दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर अनुष्ठान करते है. बाबा जगजीवन दास के कई चमत्कार हैं जैसे तालाब दूध हो जाना. ऐसे ही चमत्कारों के बारे में आज ईटीवी संवाददाता के साथ कोटवा धाम के महंत नीलेंद्र बख्श दास से बातचीत की.
ये है सतनामी संप्रदाय का 350 साल पुराना मंदिर. जानिए ईटीवी भारत से कोटवा धाम के महंत नीलेंद्र बख्श दास ने क्या बताया
ईटीवी भारत से बात करते हुए कोटवा धाम के महंत बाबा जगजीवन दास के वंशज नीलेंद्र बख्श दास उर्फ नीरज भैया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि बाबा जगजीवन दास साहब की कई चमत्कारी घटनाएं हैं. जैसे हमारे पूर्वजों मे जब कन्या पैदा होती थी तो उसको मार दिया जाता था. पूर्वज कहते थे कि हम किसी के सामने सर झुकाने नहीं जाएंगे, लेकिन जब बाबा जगजीवन दास का जन्म हुआ और उसी समय जब एक कन्या का जन्म हुआ. उसको मारने के लिए परिवार वाले तैयार हुए तो बाबा ने कहा कि इसको मत मारो. पैसा होगा तब इसकी शादी ब्याह कर दिया जाएगा, लेकिन पूर्वजों ने कहा कि हम किसी के सामने सर झुकाने नहीं जाएंगे. इसलिए इस परिवार में कन्या की हत्या कर दी जाती थी.
नीलेंद्र बख्श दास ने बताया कि जगजीवन दास साहेब ने उसको मना किया. जब वह नहीं माने तो जो लोग कन्या को मारने के लिए जा रहे थे, उनके शरीर में छाले पड़ गए और वह परेशान होने लगे. तब बाबा जगजीवन दास ने सरजू जी का जल दिया और उनके शरीर पर लगाया तब जाकर उनके छाले ठीक हुए और तब से यह प्रथा इनके परिवार में खत्म हो गई. लोग बाबा जगजीवन दास को मानने लगे. उसके बाद बाबा जगजीवन दास सरदहा ग्राम से आकर कोटक वन में तपस्या करने चले आए. वही आगे चलकर के कोटवा धाम हुआ और यहीं पर बाबा जगजीवन दास ने अपना शरीर छोड़ा. उन्होंने बताया कि यहीं पर आज भव्य मेला लगता है. हर मंगलवार को हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं और साल में 12 पूर्णिमा होती, जिसमें कई प्रदेशों से लोग दर्शन करने कोटवा धाम आते हैं.