बलरामपुरः विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर पूरे प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. सभी राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए रणनीति बनाकर जुट गए हैं. ऐसे में जिला भी इस सियासी हलचल से अछूता नहीं है. जिले की महत्वाकांक्षी सदर विधानसभा सीट 294 में भी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी शुरू हो गई है. बता दें कि सदर विधानसभा सीट हमेशा से ही लोगों के लिए महत्वकांक्षी है. यहां की आबादी 6,67,644 है. इसमें 3,19,901 महिलाएं 3,43,744 पुरुष शामिल हैं.
सदर विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट. सदर विधानसभा सीट 2012 से पहले सामान्य थी. इस सीट पर 2007 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू (अब कांग्रेस में) और 2012 के विधानसभा चुनाव में सुरक्षित होने के बाद समाजवादी पार्टी के जगराम पासवान ने जीत हासिल की थी. 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सालों बाद अपना विजय पताका यहां फहराया था और गोंडा के रहने वाले पलटूराम को फतह हासिल हुई थी. अब आने वाले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा और सपा में भारी टक्कर होती दिख रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां पर 62.16 फीसद मतदान रिकॉर्ड किया गया था. 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए 479 जगहों को मतदान स्थल बनाया गया था। जबकि 226 जगहों पर मतदान केंद्रों की स्थापना की गई थी.
सदर विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट. सीट पर राम मंदिर आंदोलन से पहले कांग्रेस और जनता पार्टी का बोलबाला रहा है. लेकिन राम मंदिर आंदोलन और उसके बाद पैदा हुई राजनीतिक स्थिति में भाजपा और सपा ने अपना परचम लहराना शुरू किया. 1952 से अब तक कुल 7 बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जितवाकर वोटरों ने विधानसभा सदन भेजा. इसके बाद यहां पर 4 बार भाजपा और जनसंघ के उम्मीदवारों ने फतह हासिल की है. वहीं, चार बार सपा तो 1 बार बसपा का उम्मीदवार बलरामपुर सदर विधानसभा से जीतने में कामयाब हुआ है.
सदर विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट. यह है जातीय समीकरण
सदर विधानसभा सीट (294) में 71.8 फीसद हिंदू और 27 फीसदी मुस्लिम आबादी है. वहीं, 0.1 फ़ीसदी ईसाई आबादी व 0.1 फ़ीसदी अन्य आबादी निवास करती है. यदि सामान्य जातियों का समीकरण देखा जाए तो 16 फीसद ब्राह्मण व 12 फीसदी पर ठाकुर वोटरों का कब्जा है. जबकि 01 कायस्थ और 04 फीसदी अन्य सामान्य जातियां हैं. वहीं, ओबीसी 4 फीसदी यादव, 7 फीसदी कुर्मी, 5 फीसदी कहार व अन्य 5.8 फ़ीसदी अन्य ओबीसी आबादी है. अनुसूचित जाति 6 फीसद, कोरी 5, पासी 4 व अन्य अनुसूचित जाति के 3 फीसद लोग रहते हैं. इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति की कोई आबादी नहीं रहती है. सदर विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट. यह पिछले चुनाव का नतीजा
बलरामपुर सदर 294 विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पलटूराम को कुल 89,401 वोट प्राप्त हुए थे. दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस सपा गठबंधन के उम्मीदवार शिवलाल को 64,541 मत प्राप्त हुए थे. बहुजन समाज पार्टी से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे राम सागर अकेला को महज 26,011 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था.
इनमें टक्कर होने की उम्मीद
बलरामपुर सदर विधानसभा सीट में सपा और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है. वहीं कांग्रेस, पीस पार्टी, एआईएमआईएम के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकने के लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं, समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक रहे जगराम पासवान का टिकट लगभग तय माना जा रहा है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी से पलटू राम दोबारा बलरामपुर सदर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में ताल ठोक सकते हैं. बाढ़ और सड़कों की बड़ी समस्या
बलरामपुर सदर विधानसभा सीट पर सबसे बड़ी समस्या सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ राप्ती नदी द्वारा लाया जाने वाला हर साल बाढ़ है. यहां पर बड़े पैमाने के बाढ़ के कहर से लोग परेशान होते है. बांध कटने का डर भी लोगों को लगा रहता है. वहीं, हर बरसात में सड़कें बड़ी मात्रा में खराब हो जाती हैं. सड़कों का समय से रिपेयरिंग ना हो पाना, ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब होता है. कुछ ऐसी ग्राम सभाएं हैं, जहां आज भी बमुश्किल से ही पहुंचा जा सकता है. बलरामपुर शहर, जिसकी आबादी तकरीबन डेढ़ लाख है. वह रोजाना जाम के झाम से जूझना पड़ता है, जिससे निजात दिलाने के लिए बलरामपुर सदर विधायक पलटूराम ने एक रिंग रोड पास करवाया है, जिस पर अभी काम चल रहा है.
शिक्षण संस्थानों की दरकार
चिकित्सा शिक्षा व टेक्निकल शिक्षा का अभी इस विधानसभा क्षेत्र में संभावना ना होने पर हो पाने के कारण युवा बाहर पढ़ने को जाते हैं. चिकित्सा शिक्षा के लिए किंग जॉर्ज्स मेडिकल यूनिवर्सिटी की एक सेटेलाइट यूनिट यहां पर स्थापित की जा रही है. जबकि एक पॉलिटेक्निक, दो आईटीआई बन चुके हैं. लेकिन सालों से उसका संचालन नहीं हो पा रहा है. वहीं, बालिकाओं के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. एकमात्र एमएलके पीजी कॉलेज में छात्रों की संख्या बढ़ जाने के कारण तमाम छात्र-छात्राओं को एडमिशन नहीं मिल पाता है. एक बालिका इंटर कॉलेज प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है. जबकि बालिका इंटर कॉलेज व बालिका विद्यालयों की संख्या भी विधानसभा आबादी के अनुपात में बेहद कम है.