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पशुओं के स्वास्थ्य का नहीं है ख्याल, कैसे मालामाल होंगे किसान

दुधारू पशुओं में बदलते मौसम के साथ तमाम तरह की बीमारी फैलती हैं. इनमें से बहुत सी बीमारियां ऐसी होती हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं और पशुओं के दूध उत्पादन पर भी प्रभाव डाल सकती हैं. इसके लिए पशुओं का नियमित टीकाकरण होना बेहद जरूरी है, लेकिन यूपी के बलरामपुर जिले में तकरीबन चार लाख पशुओं के सापेक्ष महज 60 हजार पशुओं को ही पीपीआर वैक्सीन से टीकाकृत किया गया है.

balrampur animal vaccination special story
पशु टीकाकरण पर स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Sep 28, 2020, 8:07 PM IST

बलरामपुर: पशु आबादी का ख्याल रखने के लिए जिला पशु चिकित्सा विभाग संचालित किया जाता है, जिनके कंधों पर जिले के तकरीबन चार लाख महिषवंशी और गोवंशी पशुओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है, लेकिन जिम्मेदारों को शायद इस बात का इल्म ही नहीं है कि पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए उनका नियमित टीकाकरण भी होना चाहिए, तभी तो चार लाख 25 हजार के अनुपात में महज 60 हजार पशुओं को पीपीआर वैक्सीन से टीकाकृत किया गया है.

स्पेशल रिपोर्ट...

पशुओं में फैलती हैं कई तरह की बीमारियां
दुधारू पशुओं में बदलते मौसम के साथ तमाम तरह की बीमारी फैलती हैं. विषाणु, जीवाणु, फफूंदी, ब्रह्मा परजीवी, प्रोटोजोआ, कुपोषण और शरीर के अंदर मेटाबॉलिज्म की क्रिया में आने वाली खराबी के कारण मुख्य तौर पर बीमारियां फैलती हैं. इन बीमारियों में बहुत सी बीमारियां ऐसी हैं, जो जानलेवा और घातक साबित हो सकती हैं और पशुओं के दूध उत्पादन पर भी प्रभाव डाल सकती हैं. इनमें से कुछ बीमारियां जैसे मुंह व खुर की बीमारी, गला घोटूं, छूतदार एक-दूसरे पशुओं में ट्रांसफर होने के कारण फैलती हैं.

विषाणु जनित रोगों में प्रमुख तौर पर मुंह या खुर की बीमारी, पशु प्लेग, पशुओं में पागलपन और रेबीज हैं. वहीं जीवाणु जनित रोगों में गला घोंटू यानी एचएस, लंगड़ा बुखार यानी ब्लैक कार्टर, ब्रुसिल्लोसिस और छूतदार का रोग प्रमुख है.

क्या है ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि बरसात के महीने बीतने के बाद जब पशुओं में बीमारियां फैलनी शुरू होती है, तब भी पशु विभाग के अधिकारी हमारी सुध नहीं लेते. पशुओं का टीकाकरण न हो पाने के कारण तमाम तरह की समस्याएं और बीमारियां पशुओं को घेर लेती हैं, जिसके कारण उनकी असमय मृत्यु तक हो जाती है. इसके साथ ही दुधारू पशुओं के बीमार होने या मारे जाने के कारण हमें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है.

ग्रामीण बताते हैं कि हमारा कल्याणपुर गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित था, फिर भी यहां पर पशुओं के लिए कोई चिकित्सीय सुविधा नहीं उपलब्ध हो सकी है. इस कारण से हमारे पशु लगातार बीमार होते जा रहे हैं. इन सभी बीमारियों के लिए पशुओं को नियमित रूप से टीकाकृत किए जाने के लिए राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसमें पशु जनगणना के अनुसार उन्हें जियो टैग करके टीकाकृत किया जाता है. जियो टैग के कारण वास्तविक स्थिति का पता लगाते हुए सभी पशुओं को टीकाकरण की सुविधाओं से आच्छादित किया जाने का कार्यक्रम चलाया जाता है.

जिले के आंकड़े
मुख्य जिला पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह बताते हैं कि जिले में गोवंशों की संख्या 1 लाख 97 हजार 746 है, जबकि महिषवंशी पशुओं की संख्या 2 लाख 26 हजार 303 है. कुल मिलाकर जिले में 4 लाख 24 हजार 49 पशु हैं, जिनका नियमित रूप से देखभाल करने के लिए डॉक्टरों और फार्मेसिस्ट की टीम लगी हुई है.

पशुओं का नहीं हो पा रहा टीकाकरण.

डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि जिले के दुधारू पशुओं को एचएस यानी गला घोंटू वैक्सीनेशन के लिए कुल 3 लाख 37 हजार 300 बॉयल प्राप्त हुआ हैं, जिनमें से लगभग 2 लाख 80 हजार बॉयल अब तक लगाया जा चुका है. वहीं पीपीआर वैक्सिनेशन के लिए कुल 60 हजार बॉयल प्राप्त हुए थे, जिनमें से सभी बॉयल का प्रयोग किया जा चुका है.

क्या कहते हैं सीडीओ
सीडीओ अमनदीप डुली बताते हैं कि जिले के दुधारू पशुओं के वैक्सीनेशन और उनके स्वास्थ्य के लिए हम लोगों ने ग्रामसभा स्तर पर पशु मित्रों के साथ बैठक की थी, जिसके जरिए शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन के काम को कंप्लीट किया जा सके. यह दरअसल, इंसेंटिव बेस प्रोग्राम है. माने जो जितनी ज्यादा वैक्सीन लगाएगा, उसे उतना ही फायदा होगा.

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सीडीओ बताते हैं कि जिन बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब तक वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है, वहां पर काम को आगे बढ़ाने के लिए कवायद की जा रही है. इसके अलावा अगर कोई अधिकारी प्रॉपर रूप से वैक्सीनेशन प्रोग्राम की चेकिंग नहीं करता है तो उसके खिलाफ हम कार्रवाई भी सुनिश्चित करेंगे.

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