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बलरामपुर: नहीं मिली एंबुलेंस, ठेले पर बेटा लेकर 18 किलोमीटर चला पिता

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. कोरोना महामारी के अलावा किसी भी अन्य मरीजों को न तो इलाज मिल पा रहा है और न ही एम्बुलेंस. ऐसा ही एक मामला बलरामपुर जिले में देखने को मिला, जहां बेटे की हालत बिगड़ती देख पिता उसे ठेले पर लेकर 18 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां भी मेडिकल स्टाफ ने उसकी नहीं सुनी और जिला संयुक्त चिकित्सालय जाने को कहा. लाचार पिता जब वहां पहुंचा तो बेटे की गंभीर हालत देख उसे बहराइच रेफर कर दिया गया.

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Published : Apr 30, 2020, 5:23 AM IST

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बलरामपुर में ठेले पर बेटे को लेकर इलाज के लिए निकला पिता.

बलरामपुर: एक तरफ जहां लोगों को कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग दम भरता दिखाई देता है. वहीं, दूसरी तरफ 'अंधेर नगरी चौपट राजा' वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. कोरोना संक्रमण के कारण बलरामपुर जिले की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई है. कोरोना के अलावा किसी भी अन्य बीमारी से ग्रसित मरीजों को न तो इलाज मिल पा रहा है और न ही उन्हें एम्बुलेंस की सुविधा मिल पा रही है.

स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल.

मरीजों को अस्पताल तक लाने के लिये लोगों को ठेलिया (एक प्रकार की हाथगाड़ी) का सहारा लेना पड़ रहा है.

नहीं मिला एंम्बुलेंस का नंबर
बलरामपुर जिले के सदर ब्लॉक के सोनपुर गांव के रहने वाले आंधी के 15 वर्षीय बच्चे राजाराम की अचानक हालत खराब हो गयी. पड़ोसियों ने एम्बुलेंस को फोन किया लेकिन एम्बुलेंस का नंबर नहीं मिला. बच्चे की हालत बिगड़ता देख 18 किलोमीटर का सफ़र ठेलिया पर तय करके पिता अपने बच्चे को लेकर बलरामपुर मेमेरियल अस्पताल पहुंचा, लेकिन यहां का इमरजेंसी रूम खाली पड़ा था.

जिला मेमोरियल चिकित्सालय.

स्टाफ ने नहीं सुनी लाचार पिता की पुकार
इमरजेंसी के बाहर टहल रहे स्टाफ से पिता ने बच्चे के इलाज के लिए कई बार कहा, लेकिन गंभीर हालत में पहुंचे मरीज को देखने की किसी ने जहमत तक नहीं उठाई और मरीज को उसी ठेले से जिला संयुक्त चिकित्सालय ले जाने को कहा. आंधी अपने बच्चे को ठेलिया से लादकर संयुक्त चिकित्सालय पहुंचा. जहां पर डॉक्टरों ने मरीज की हालत गम्भीर देखकर उसे बहराइच के लिए रेफर कर दिया.

प्रभारी सीएमएस ने दी सफाई
प्रभारी सीएमएस डॉ. एनके वाजपेयी ने बताया कि मरीज को जिला संयुक्त चिकित्सालय में बेहोशी की हालत में लाया गया था. उसकी हालत गंभीर थी. इमरजेंसी में उसे देखा गया. हमारे यहां उस मरीज को कई डॉक्टरों ने देखा. मरीज की हालत गम्भीर थी. परिजनों को समझाया गया वो उसे ले जाने को तैयार हो गए, जिसके बाद उसे बहराइच के लिए रेफर कर दिया गया. उस वक्त उसे एम्बुलेंस की सुविधा दे दी गयी थी.

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कुल मिलाकर कोरोना महामारी के बहाने जिले का स्वास्थ्य सिस्टम पूरी तरह से चरमरा गया है. अभी एक हफ्ते पहले ही सिरसिया गांव के एक मरीज की मौत महज इसलिए हो गयी, क्योंकि उसे कोरोना का संभावित मरीज समझा गया और वह एम्बुलेंस में ही तकरीबन एक घंटे तक कराहता रहा, लेकिन आइसोलेशन वार्ड में तैनात डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ ने उसे विजिट करने की जहमत तक नहीं उठाई. अब जांच की जा रही है और आइसोलेशन वार्ड में तैमात चार लोगों को नोटिस दिया गया है.

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