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बलिया की बेटी नेहा सिंह का 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज हुआ नाम

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की रहने वाली नेहा सिंह ने अपना नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज कराया है. नेहा काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा हैं. बीएचयू के 100 वर्ष के इतिहास में पहली बार किसी छात्रा का नाम गिनीज बुक में दर्ज हुआ है. नेहा ने श्रीमद्भागवत गीता पर आधारित विश्व की सबसे बड़ी पेंटिंग बनाई है.

neha singh of ballia registered her name in guinness book of world records
नेहा सिंह का गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम.

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Published : Dec 20, 2020, 9:25 PM IST

बलिया :काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 100 वर्षों के इतिहास में पहली बार बलिया की एक छात्रा नेहा सिंह का नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज हुआ है. बलिया के डीएम श्रीहरि प्रताप शाही ने नेहा के घर रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव में जाकर खुद उन्हें बधाई दी और सर्टिफिकेट का विमोचन भी किया. रसड़ा एसडीएम मोती लाल यादव के द्वारा भी नेहा को आशीर्वाद प्रदान किया गया. नेहा बलिया की पहली और अकेली 'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी' बनी हैं.

नेहा से मिलने पहुंचे जिलाधिकारी.

लॉकडाउन में बनाई पेंटिंग
नेहा सिंह पिछले साल से तैयारी कर रहीं थी. लॉकडाउन में अप्रैल महीने से घर बैठ कर उन्होंने खनिज रंगों से सबसे बड़ा पेंटिंग बनाया, जिसका साइज 62.72 स्क्वायर मीटर यानि 675.36 स्क्वायर फीट है. नेहा जुलाई महीने में ही गिनीज के नियमों के अनुसार पेंटिंग को तैयार करके ऑनलाइन सारा डाक्यूमेंट्स जमा कर चुकीं थी, मगर कोविड के चलते गिनीज से जवाब आने में चार महीने का समय लग गया. पहले यह रिकॉर्ड भारत के ही आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा की रहने वाली श्रेया तातिनेनी के नाम था, जिन्होंने 29 सितंबर 2019 को 54.67 वर्ग मीटर यानी 588.56 स्क्वायर फीट में खनिज रंगों से पेंटिंग बनाई थी. उसी समय से नेहा ने इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए एप्लीकेशन डाला हुआ था, मगर गिनीज से अनुमति मिलते एवं तैयारियां करते-करते साल भर का समय लग गया.

'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से लेनी पड़ती है अनुमति'
नेहा ने बताया कि खनिज रंगों से जो भी पेंटिंग बनाएंगे, उसका अप्रूवल पहले से ही गिनीज से लेनी पड़ती था. करीब 8 अलग-अलग पेंटिंग को नकारने के बाद अंतिम गिनीज रिकॉर्ड के लिए भगवद्गीता पर आधारित पेंटिंग बनाई. खनिज रंगों से पेंटिंग बनाने के लिए गिनीज रिकॉर्ड अथॉरिटी के बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है. उन्होंने बताया कि भगवद्गीता के 18 अध्यायों को पेड़ की 18 शाखाओं में और हर एक शाखा में 1 से 18 पत्तों का चित्रण करके ऊपर कमल एवं ॐ से मोक्ष प्राप्ति का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है. इस कार्य की तैयारी एवं इसे पूर्ण रूप देने के लिए पिछले सात सालों से खुद से बनाई गई लगभग सभी पेंटिंग मुंबई के एक चित्रकला के व्यापारी को बेच दिए.

नेहा को जिलाधिकारी ने दी सर्टिफिकेट.

वैदिक साहित्य में नेहा की है रुचि
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र के पहले सत्र की छात्रा नेहा सिंह को वैदिक साहित्य में अधिक रुचि है. इसी कारण ललित कला में स्नातकोत्तर के बाद आजकल के भागदौड़ एवं मोह-माया से दूर वैदिक विज्ञान, उपनिषद, भगवद्गीता और भारतीय संस्कृति आदि विषयों में निरंतर शोध एवं अध्ययन में वह लगी रहती थीं. आम जन को देखने के लिए नेहा सिंह ने पेंटिंग को अपने घर बलिया जनपद के रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव के बाहर लगाया है. बलिया के कई विधायक एवं संसद सहित कई गणमान्य लोग छात्रा को बधाई देने पहुंच रहे हैं.

पहले भी कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं नेहा

नेहा सिंह पहले भी कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं. उन्होंने पहला रिकॉर्ड 16 लाख मोतियों से 10 × 11 फुट का भारत का नक्शा बनाकर बनाया, जिसके लिए उनका नाम WORLD RECORDS OF INDIA में दर्ज है. उन्होंने दूसरा रिकॉर्ड 449 फीट कपड़े पर 38 हजार 417 डॉट-डॉट कर उंगलियों के निशान से हनुमान चालीसा लिख कर बनाया. इसके लिए उनका नाम EURASIA WORLD RECORDS में दर्ज है. नेहा ने तीसरा रिकॉर्ड दुनिया का पहला दशोपनिषद् एवं महावाक्य का डिजिटल प्रिंटेड एल्बम बनाकर बनाया, जिसके लिए उनका नाम INDIAN BOOK OF RECORDS में दर्ज है. नेहा सिंह BSF में कार्यरत बुटन सिंह की बेटी हैं एवं बलिया के समाजसेवी तथा भूतपूर्व छात्र नेता मथुरा पीजी कॉलेज के अमित कुमार सिंह (बिटटू) की बहन हैं. नेहा द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस पर बनाई पंच तत्व की पेंटिंग अमेरिका से आए एक अतिथि ने खरीद लिया था.

क्या कहना है नेहा सिंह का
नेहा सिंह ने कहा कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में बलिया का पहली बार नाम अंकित हुआ है. जिलाधिकारी बलिया श्रीहरि प्रताप शाही मेरी पेंटिंग देखने के लिए यहां आए हुए थे. पेंटिंग को देखने के बाद जिलाधिकारी ने हमें बधाई देने के साथ-साथ गिनीज वर्ल्ड का सर्टिफिकेट भी हमें प्रदान किया. उन्होंने बताया कि मेरा सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि बलिया का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा करूं. उन्होंने नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का संदेश दिया.

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