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अंधविश्वास में जलाईं नवजात की अंगुलियां, हालत गंभीर

उत्तर प्रदेश के बहराइच में अंधविश्वास पर आधारित घटनाओं ने सोचने पर मजबूर कर दिया है. इस दौरान अंधविश्वास के फेर में फंसे लोगों ने नवजात बच्चे की अंगुलियां जला दी.

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अंधविश्वास के चक्कर में जलाई नवजात की अंगुली.

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Published : Jan 29, 2020, 12:17 PM IST

बहराइच: भले ही आज हम आधुनिक युग में जी रहे हों, लेकिन भारत-नेपाल सीमा पर बसे जनपद बहराइच की एक घटना ने सोचने पर मजबूर कर दिया है. अंधविश्वास के चक्कर में फंसे लोग नवजात शिशुओं पर जुल्म ढा रहे हैं. जुल्म का आलम यह है कि दिमागी बुखार से पीड़ित मासूम बच्चों की अंगुलियां खौलते तेल में डालकर जला दी गई. इससे बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है. उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है.

अंधविश्वास के चक्कर में जलाई नवजात की अंगुली.

पीड़ित मासूम बच्चों के परिजनों का कहना है कि बच्चों को प्रेत आत्मा ने पकड़ रखा है. इसके चलते बच्चों की अंगुलियां जलाकर उसे भरने का काम किया है. हालांकि उन्होंने खुद ऐसा करने से इनकार किया है.

पहला मामला

पहला मामला थाना हुजूरपुर क्षेत्र के बेहड़ा देवकरण पुरवा का है. जहां गुड़िया नामक महिला ने एक नवजात शिशु को जन्म दिया. जन्म के बाद बच्चा दूध नहीं पी रहा था और रो भी नहीं रहा था. इस पर लोगों ने उन्हें बताया कि इसे जमोगा नाम की बीमारी हो गई है. इसका इलाज बच्चे की अंगुली खौलते तेल में डालने से किया जा सकता है. इसके बाद बच्चे की अंगुली खौलते तेल में डाल दिया गया, जिससे बच्चा बुरी तरह से झुलस गया. हालांकि नवजात की मां गुड्डी का कहना है कि ऐसा उसने नहीं, बल्कि गांव के लोगों ने किया है.

दूसरा मामला

दूसरी घटना विकासखंड तेजवापुर के ग्राम रायपुर कोठार की है, जहां मीना नाम की महिला का बच्चा आंख पलट कर रो रहा था. लोगों ने मीना को बताया कि उसके बच्चे को जमोगा नाम की बीमारी ने जकड़ लिया है. मीना ने बताया कि लोगों ने उसके बच्चे की अंगुली खोलते तेल में डाल दी. इससे बच्चे की हालत बिगड़ने लगी और उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है.

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अंधविश्वास के चक्कर में बच्चों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया है. खौलते तेल में अंगुली जलाने से अंगुलियां क्षतिग्रस्त हो गई है. एक बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है, जबकि दूसरे की हालत गंभीर बनी हुई है. थोड़ा सुधार होने पर उसे उच्च स्तरीय अस्पताल में उपचार के लिए भेजा जाएगा.
- डॉ. डीके सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

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