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प्रवासी मजदूर सहायता रथ को भाजपा सांसद और विधायक ने दिखाई हरी झंडी

बहराइच जिले में प्रवासी मजदूर सहायता रथ का भाजपा सांसद और विधायक ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस रथ के माध्यम से जिले के एक हजार परिवारों को एक माह का खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा.

सांसद और विधायक ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना.
सांसद और विधायक ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना.

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Published : Jun 3, 2020, 5:16 AM IST

बहराइच: जिले में कोरोना रोधी एवं प्रवासी मजदूर सहायता रथ को भाजपा सांसद अक्षयवर लाल गौड़ और पार्टी विधायक अनुपमा जयसवाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस कार्यक्रम का आयोजन देहात संस्था और अजीम प्रेमजी के सहयोग से किया जा रहा है. यह रथ जहां गरीब परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराएगा, तो वहीं प्रवासी श्रमिकों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के प्रति जागरूक भी करेगा.

प्रवासी श्रमिकों को 1 माह का खाद्यान्न कराया जा रहा उपलब्ध
प्रसिद्ध उद्योगपति अजीम प्रेमजी के सहयोग से देहात संस्था द्वारा जिले के एक हजार जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों को 1 माह का खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही प्रदेश से लौटे एवं जरूरतमंद लोगों को जागरूक करने का भी काम शुरू किया गया है. उन्हें सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही योजनाओं का लाभ कैसे मिले इस बारे में उन्हें जागरूक किया जा रहा.

15 दिनों का खाद्यान्न मुफ्त में कराया गया उपलब्ध
भाजपा सांसद ने बताया कि विभिन्न प्रांतों से आए प्रवासी श्रमिकों को सरकार द्वारा जिले में प्रवेश करने पर 15 दिनों का खाद्यान्न मुफ्त में उपलब्ध कराया गया. साथ ही उन्हें तुरंत कार्ड बनाकर उन्हें कोटे का खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रबंध भी किया गया. उन्होंने बताया कि पात्र गृहस्थी कार्ड और अंतोदय कार्ड सहित सभी गरीब परिवारों को एक एक हजार की आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है.

नगर विधायक एवं पूर्व मंत्री अनुपमा जयसवाल ने कहा कि सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं. उन्होंने इसके लिए लोगों को जागरूक करने की पहल की सराहना की है.

एक हजार परिवारों का किया गया है चयन
सामाजिक संगठन देहात के मुख्य कार्यकारी डॉक्टर जितेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि अजीम प्रेमजी के सहयोग से जिले के एक हजार परिवारों को 1 माह का खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए ऐसी विधवाओं जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, ऐसे बुजुर्ग जिनके घर कोई कमाने वाला नहीं है, ऐसे दिव्यांग जो परिवार के मुखिया हैं और ऐसे परिवार जिनका मुखिया गंभीर बीमारी से पीड़ित है. ऐसे एक हजार परिवारों का चयन किया गया है.

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