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सब्जी से करनी है बंपर कमाई तो बागपत के इस किसान से सीखें - vegetables cultivation payment

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक किसान गन्ने की खेती छोड़ पिछले 10 साल से सब्जियों की खेती करते हैं. उनका कहना है कि गन्ने की खेती से अधिक मुनाफा इससे हो रहा है. वहीं सतीश की इस सफलता को देखते हुए बाकी के किसान भी इसका अनुकरण कर रहे हैं.

सब्जियों की खेती.
सब्जियों की खेती.

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Published : Aug 6, 2020, 3:22 PM IST

बागपत: गन्ना बैलट के किसानों को खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, लेकिन चोबली गांव के किसान सतीश कुमार सब्जियों की खेती करते है. निजी कंपनियों को अपनी सब्जियां बेचते हैं, इसके लिए उन्हें न ही बाजार जाना पड़ता है और न ही ढुलाई की कोई फिक्र करनी होती है.

किसान सतीश कुमार से बातचीत.

सतीश कुमार की मानें तो शुगर मिलों की उदासीनता के चलते उन्होंने ये कदम उठाया था, लेकिन अब वह इस खेती से काफी खुश हैं. साथ ही पानी का दोहन भी बाकी फसलों से काफी कम है, क्योंकि सब्जियों की खेती में लिमिटेड पानी दिया जाता है और खेत में पानी चालू करके छोड़ा नहीं जा सकता. अगर ज्यादा मात्रा में खेत में पानी पहुंचा तो फसल के खराब होने का डर लगा रहता है. इतना ही नहीं, गांव में अन्य किसान भी सतीश कुमार की इस पहल का अनुसरण करने की बात करते हैं.

सतीश का कहना है कि गन्ने की खेती को परेशानियों के चलते छोड़ दिया है. शुगर मिल और पेमेंट से परेशान होकर और जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के चलते सतीश कुमार गन्ने की खेती को अलविदा कहने के बाद सब्जियों की खेती करने लगे हैं.

सतीश ने बताया कि जब किसान को सब्जियों की खेती में फायदा होगा, तो गन्ना खुद ही छोड़ देंगे. सतीश कुमार पहले 80/85 बीघा गन्ना बोते थे, लेकिन बीते 10 वर्षों से उन्होंने गन्ने की एक बीघा भी फसल की पैदवार नहीं की है. सतीश की मानें तो गन्ने का भुगतान का कोई भरोसा नहीं होता, जबकि इस खेती का भुगतान 8 दिनों में चेक के माध्यम से हो जाता है. साथ ही मंडी में सब्जी ले जाने व ढुलाई की भी कोई समस्या नहीं होती है. मदर डेयरी के लोग खुद अपना वाहन लेकर आते हैं और सब्जी का वजन कर सब्जी लेकर चले जाते हैं.

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