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ऐ मौत ! आखिर तू आती क्यों नहीं...अयोध्या जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों की आवाज

लावारिस मरीजों की सेवा में लगे सामाजिक कार्यकर्ता ऋतेश दास ने बताया कि वार्ड में कभी कोई डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं आता. गंदगी इस कदर है कि वार्ड में सांस लेना भी दूभर है. ऐसे में मरीज किस कलेजे से खाना खाए और पानी पिए.

अयोध्या जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों की आवाज
अयोध्या जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों की आवाज

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Published : Aug 16, 2021, 6:03 PM IST

अयोध्या. स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी को लेकर सरकार लगातार दावे करती रहती है, पर इन दावों के बीच जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड की कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिन्हें देखकर रूह कांप जाती है. यहां मरीज का सड़ता जिस्म और इस पर भी उसे समुचित इलाज न दिया जाना सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता दिखाई देता है.

अयोध्या के जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड का नाम ही लावारिस नहीं है बल्कि अस्पताल प्रशासन की नजर में भी यह वार्ड लावारिस ही है. इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं. आलम यह है कि यहां जो मरीज भर्ती हैं, वह सिर्फ अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं.

अयोध्या जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों की आवाज

भूख प्यास गंदगी के बीच कमरे की छत को देखते हुए मरीजों के जेहन में शायद एक ही सवाल है कि ऐ मौत! आखिर तू आती क्यों नहीं. यह स्थिति अयोध्या के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की है. यह वही अयोध्या है जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्राथमिकता वाले शहर में से एक माना जाता है.

अपने कार्यकाल में अभी तक सूबे के मुखिया 26 बार राम नगरी अयोध्या का दौरा कर चुके हैं. अपने हर दौरे पर अयोध्या के विकास की कोई न कोई योजना मुख्यमंत्री घोषित कर देते हैं. कई योजनाओं पर काम भी चल रहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या विकास का उजियारा सिर्फ समाज के ऊपरी तबके को रोशन करेगा.

क्या मदद और सहूलियत की राहत समाज के उस तबके तक नहीं पहुंचनी चाहिए जिसका कोई सहारा नहीं है. अयोध्या जिला अस्पताल के लावारिस वार्ड में करीब आधा दर्जन मरीज अपने इलाज के लिए भर्ती हैं. लेकिन इनकी हालत बद से बदतर है. वार्ड में सफाई न होने से इस वार्ड में भर्ती जिंदा मरीज नर्क से भी बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं.

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वार्ड की बदतर हालत के चलते डॉक्टर भी नहीं आते मरीजों को देखने

लावारिस मरीजों की सेवा में लगे सामाजिक कार्यकर्ता ऋतेश दास ने बताया कि वार्ड में कभी कोई डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं आता. गंदगी इस कदर है कि वार्ड में सांस लेना भी दूभर है. ऐसे में मरीज किस कलेजे से खाना खाए और पानी पिए. जिस तरह वार्ड का नाम लावारिस वार्ड है, उसी तरह से अस्पताल प्रशासन इस वार्ड को लावारिस छोड़ चुका है.

भर्ती मरीजों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है. कई मरीज बेहद बुरी हालत में गंदगी से लिपटे हुए जमीन पर पड़े हैं. कुछ अपनी जिंदगी की अंतिम सांसें गिन रहे हैं और यह हाल नया नहीं है.

लावारिस वार्ड की हालत हमेशा से ऐसी ही रही है. वार्ड में भर्ती लावारिस मरीजों की देखरेख करने वाला कोई न होने के कारण मरीज अक्सर बेड पर ही शौच इत्यादि कर दे रहे हैं. कोई भी सफाईकर्मी सफाई नहीं करता. इसके कारण इनकी हालत और ज्यादा खराब है. वार्ड में इतनी गंदगी और बदबू है कि यहां खड़ा होना भी मुश्किल है.

इस पूरी दुर्दशा के लिए अस्पताल प्रशासन की सफाई व्यवस्था जिम्मेदार है. अगर वार्ड की और वार्ड में भर्ती मरीजों को साफ-सफाई से रखा जाता तो शायद डॉक्टर भी कभी कभार आकर इन मरीजों का हाल ले लेते. लेकिन इतने गंदे वार्ड में डॉक्टर भी आना पसंद नहीं करते.

समाजसेवी ऋतेश मिश्रा ने जब लावारिस वार्ड की वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड की तो उसके बाद इस वार्ड की खौफनाक और दर्दनाक हकीकत सामने आई है. तस्वीरें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस वार्ड में मरीज ठीक होने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ मरने के लिए ही आते हैं.

मरीजों को खाना तो किसी तरह मिल जाता है लेकिन जब पूरे वार्ड में चारों तरफ गंदगी और बदबू हो, ऐसे में खाना खाकर कोई ठीक कैसे हो सकता है. वार्ड की गंदगी को देखते हुए कोई भी डॉक्टर इस वार्ड में आने की जहमत नहीं उठाता.

हालांकि इस संबंध में जिला अस्पताल के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया.

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