अयोध्या : भगवान श्रीराम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में चल रहे राम मंदिर निर्माण कार्य के बीच भगवान राम लला की बालस्वरूप प्रतिमा निर्माण के लिए पड़ोसी देश नेपाल के पोखरा से चले दो विशालकाय शालिग्राम पत्थर 2 फरवरी की सुबह तक राम नगरी अयोध्या पहुंच सकते हैं. यहां पर इन शिलाओं के साथ यात्रा लेकर आ रहे लोगों का भव्य स्वागत करने की तैयारी है. अयोध्या के कारसेवकपुरम परिसर में स्थान खाली करा लिया गया है. जहां पर खुले मैदान में इन शिलाओं को अभी रखा जाएगा. जिसके बाद देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार इन पत्थरों का परीक्षण कर यह तय करेंगे कि इनसे भगवान राम की प्रतिमा बनाई जा सकती है या नहीं. इसके लिए अयोध्या के कारसेवक पुरम परिसर से सटे रामसेवक पुरम में शिलाओं को रखने के लिए स्थान सुनिश्चित कर लिया गया है. विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा के मुताबिक, 'ट्रस्ट के सभी सदस्यों और मूर्तिकारों के अंतिम निर्णय के बाद यह पता चलेगा कि प्रतिमाओं का निर्माण किन पत्थरों से होगा.'
ईटीवी भारत से बात करते हुए विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि '2 फरवरी की सुबह 10:00 बजे तक दोनों शालिग्राम शिलाएं राम नगरी अयोध्या में प्रवेश कर जाएंगी. जहां पर इनका स्वागत किया जाएगा. इसके बाद कारसेवक पुरम परिसर में इन्हें सुरक्षित रूप से रख दिया जाएगा. इन शिलाओं से ही भगवान राम लला की प्रतिमा बनेगी या नहीं यह निर्णय ट्रस्ट के सदस्यों को और मूर्तिकारों को लेना है, लेकिन संभावना इस बात की प्रबल है कि इन्हीं शिलाओं से भगवान राम की प्रतिमा बन सकती है. क्योंकि पूर्व में भी दक्षिण भारत के सभी प्रमुख मंदिरों में जिनमें तिरुपति बालाजी और श्रीरंगम में स्थापित विग्रह भी शालीग्राम पत्थर से बने हैं.
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि 'नेपाल में पोखरा स्थित शालिग्रामी नदी (काली गंडकी) से 26 टन और 14 टन की दो शिलाओं को 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया. पूजा-अर्चना के बाद दोनों शिलाओं को ट्रक से सड़क मार्ग से अयोध्या भेजा जा रहा है. रास्ते में इन शिलाओं के दर्शन और स्वागत के लिए भी लोग जुटे हैं. जनकपुर मंदिर के महंत श्री राम तपेश्वर दास महाराज स्वयं और उनके उत्तराधिकारी महंत राम रोशनदान महाराज की अगुआई में पवित्र शिलाएं भारत आ रही हैं. शालिग्रामी नदी से निकाली गईं ये दोनों शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं.
वैष्णव संप्रदाय में विशेष पूजनीय स्थान :वैष्णव संप्रदाय में शालिग्राम शिला का विशेष पूजनीय स्थान है. इसके चलते संभावना है कि इन शिलाओं से ही भगवान श्री राम लला की प्रतिमाओं का निर्माण होगा. नेपाल की शालिग्रामी नदी, भारत में प्रवेश करते ही नारायणी बन जाती है. शालिग्रामी नदी के काले पत्थर भगवान शालिग्राम के रूप में पूजे जाते हैं. बताया जाता है कि शालिग्राम पत्थर, सिर्फ शालिग्रामी नदी में मिलता है. यह नदी दामोदर कुंड से निकलकर बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है. देश के कई बड़े मंदिरों में स्थापित भगवान के विग्रह शालिग्राम पत्थर के ही बने हैं, इसलिए इस बात की संभावना अधिक है कि नेपाल से आने वाले इन पत्थरों से ही भगवान राम की प्रतिमा का निर्माण होगा.