अयोध्या: राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल में बदलाव की मांग की है. वहीं इस मांग को अयोध्या के कई प्रमुख संतों ने अनावश्यक बताया है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने इसे मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास बताया. श्रीरामवल्लभाकुंज के अधिकारी संत राजकुमार दास का कहना है कि विहिप के प्रस्तावित मॉडल को राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने ही मान्यता दी थी. ऐसे में मॉडल में बदलाव की मांग औचित्यहीन है.
संतों ने मांग को लेकर केंद्र सरकार को लिखा पत्र
राम जन्मभूमि पर प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल में अयोध्या के संतों ने बदलाव की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में एक लिखित पत्र केंद्र सरकार और राज्य सरकार समेत ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को लिखा है. संतों ने राम जन्मभूमि न्यास के प्रस्तावित मॉडल को विशाल रूप देने और राम के तीनों भाइयों, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की स्मृतियों को भी राम जन्मभूमि में संजोने की मांग की है.
संतों ने मांग को बताया अनुचित
इसके अलावा संतों ने राम मंदिर को सफेद संगमरमर से बनाने की मांग की है. संतों की इस मांग को राम नगरी के प्रमुख संतों ने अनुचित बताया है.
राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित है संतों की मांग
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर के मॉडल में बदलाव की संतों की मांग पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि संतों की यह मांग राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित हो गई है. यह मांग मंदिर निर्माण में अड़ंगा लगाने के लिए है.