लखनऊ: वर्ष 1992 में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. कल्याण सिंह उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था. बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उन्होंने बाबरी मस्जिद को बचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि बाबरी मस्जिद को पूरी तरह से बचाने का काम किया जाएगा, लेकिन कारसेवकों का लाखों की संख्या में अयोध्या में हुजूम उमड़ा तो उन्होंने गोली चलाने को लेकर एक लाइन में आदेश दिया कि गोली नहीं चलाई जाएगी.
कल्याण ने कारसेवकों पर गोली चलाने की नहीं दी थी अनुमति
1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे. इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों का लाखों की संख्या में हुजूम अयोध्या में उमड़ पड़ा. बड़ी संख्या में कारसेवकों को देख पुलिस-प्रशासन के हाथ पांव फूल गए. अधिकारियों ने स्थिति नियंत्रण से बाहर बताई और तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से गोली चलाने की अनुमति मांगी ताकि बाबरी मस्जिद को गिराने से बचाया जा सके.
हालांकि इस पर कल्याण सिंह ने अधिकारियों को आदेशित किया कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलाई जाएगी. बाद में बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ढहा दिया. तब इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बाबरी मामले की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में कल्याण सिंह को एक दिन की सजा सुनाई और उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया.