अयोध्या: वैकल्पिक गर्भगृह में प्रवेश करने के साथ ही रामलला नए वस्त्र धारण कर जन्मोत्सव मनाएंगे. यह वस्त्र पिछले कई वर्षों से अयोध्या में भगवत प्रसाद तैयार करते आ रहे हैं. ईटीवी भारत ने रामलला से जुड़े आस्था और भावनात्मक पहलू को स्पर्श करने का प्रयास किया है. यहां पिछले कई दशकों से एक दर्जी परिवार रामलला के लिए नए वस्त्र बनाता रहा है.
चैत्र नवरात्र के पहले दिन यानी 25 मार्च को ब्रह्म मुहूर्त में रामलला को वैकल्पिक गृह गर्भ गृह में स्थापित किया जाना है. इसके लिए प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 20 मार्च से ही शुरू हो जाएगा. रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित करने के साथ ही उन्हें नई पोशाक धारण कराई जाएगी और फलाहारी व्यंजनों से उन्हें भोग लगाया जाएगा. जन्मोत्सव पर पहनाए जाने वाले उनके वस्त्र भी तैयार हो चुके हैं.
500 वर्ष बाद स्वतंत्र रूप से रामलला मनाएंगे जन्मदिन, लाल रंग का वस्त्र बनकर हुआ तैयार
अयोध्या विवाद का निपटारा होने के बाद राम जन्म उत्सव की जिम्मेदारी ट्रस्ट पर आ गई है. ट्रस्ट इस बार अयोध्या में राम जन्म उत्सव को भव्य रुप से मनाने की तैयारी में है. रामलला के लिए नए वस्त्र बनाने वाले दर्जी भागवत प्रसाद की खुशी का ठिकाना नहीं.
अयोध्या में रामघाट चौराहे के पास शंकर लाल टेलर की दुकान है. यहां से वर्ष 1985 से ही रामलला के वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं. पहले शंकरलाल फिर उनके बेटे बाबूलाल रामलला के लिए वस्त्र बनाते रहे. अब इनकी तीसरी पीढ़ी भी वस्त्र तैयार करने का काम कर रही है. टेलर बाबूलाल तो अब नहीं रहे, लेकिन बेटे और पोते यह जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं.
पीछले दिनों अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने से राम जन्म उत्सव कोर्ट के दायरे में रहकर मनाया जाता था. विवाद का निपटारा होने के बाद अब यह जिम्मेदारी ट्रस्ट पर आ गई है, ट्रस्ट इस बार अयोध्या में राम जन्म उत्सव को भव्य रुप से मनाने की तैयारी में है. वहीं, रामलला के लिए नए वस्त्र बनाने वाले दर्जी भागवत प्रसाद की खुशी का ठिकाना नहीं. उनका कहना है कि इस बार भगवान स्वतंत्र रूप से अपना जन्मदिन मनाएंगे और उनके बनाए हुए वस्त्र धारण करेंगे.
टेलर भागवत प्रसाद ने बताया कि रामलला को सोमवार के दिन सफेद, मंगलवार के दिन लाल, बुधवार को हरा, बृहस्पतिवार को पीला, शुक्रवार दूधिया, शनिवार के दिन नीला और रविवार को गुलाबी रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं. बता दें कि भागवत प्रसाद इस वस्त्र को तैयार करने की जिम्मेदारी को अपना सौभाग्य मानते हैं.