अयोध्या:आज से करीब 3 दशक पहले जब अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया था. उसी समय भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए राम नगरी के कारसेवक पुरम परिसर में पत्थरों की तराशी का काम शुरू हुआ था. करीब 15 वर्षों तक अनवरत पत्थरों को तराशने का काम जारी होने के बाद यह काम ठप पड़ गया था. लेकिन राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से शुरू होने के साथ ही एक बार फिर से कारसेवक पुरम परिसर में छेनी हथौड़ी की ठक-ठक की आवाज गूंजने लगी है. राम मंदिर निर्माण में प्रयोग में आने वाले पत्थरों को तराशने का काम फिर से शुरू हो चुका है. लंबे समय से सन्नाटे में गए कारसेवक पुरम परिसर में फिर से चहल-पहल बढ़ गई है. आपको बता दें कि अभी तक राम मंदिर निर्माण के लिए लगभग 20 फीसदी पत्थरों को तराशने का काम हुआ है. लगभग 80 फीसदी काम अभी भी बाकी है, जिसे तय समय सीमा में दिसंबर 2023 तक हर हाल में पूरा करना है. इसके लिए अयोध्या के कारसेवक पुरम कार्यशाला में काम की रफ्तार बढ़ा दी गई है.
संतों की मांग पर ऊंचा होगा राम मंदिर का शिखर, यहां बढ़ाई गई शिल्पकारों की संख्या
यूपी के अयोध्या में भव्य राम मंदिर (ram mandir) का निर्माण शुरू हो चुका है. राम मंदिर (ram mandir) के शिखर को संतों की मांग पर अब और ऊंचा किया जाएगा. इसके लिए कारसेवक पुरम (kar sevak puram) में शिल्पकारों की संख्या भी बढ़ा दी गई है.
राम मंदिर
आपको बता दें कि अयोध्या के संतों ने मांग की थी कि मंदिर के शिखर को और ऊंचा किया जाए, जिसके दृष्टिगत मंदिर के मॉडल में कुछ परिवर्तन किया गया है.श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कैंप कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्लिंथ का काम पूरा होने जा रहा है. इसके बाद पत्थरों की आवश्यकता होगी. मंदिर निर्माण के समय इन पत्थरों की आवश्यकता होगी. उसके पहले तैयारियां की जा रही हैं. मंदिर निर्माण में किसी तरीके का विलंब न हो, इसलिए राजस्थान के 15 कारीगरों से अतिरिक्त पत्थरों पर नक्काशी का काम शुरू कराया जा रहा है. अभी कारीगरों कि संख्या और बढ़ेगी और गुजरात से भी पत्थरों पर नक्काशी बनाने वाले कारीगरों को बुलाया गया है. पत्थरों के जो कारीगर अयोध्या पहुंचेंगे, वह मंदिर निर्माण के निमित्त तराश करके रखे गए पत्थरों में यदि कोई काम बाकी है, तो उसको पूरा करेंगे. साथ ही पत्थरों का जो स्टॉक रामजन्म की कार्यशाला में रखा गया है, उन पर नक्काशी करेंगे. अब ट्रस्ट का फोकस पत्थरों के काम पर ही है. एक बार पत्थरों पर नक्काशी का काम शुरू होगा, तो आवश्यकता अनुसार कारीगरों की संख्या में और भी इजाफा होगा.