अयोध्या: भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने और पाकिस्तान, बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को वापस भारत में लाने की मांग को लेकर रामनगरी में तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. 12 अक्टूबर सोमवार की सुबह 5:00 बजे विधिवत पूजन अर्चन करने के बाद महंत परमहंस दास तपस्वी छावनी आश्रम के सामने आमरण अनशन पर बैठे. इस दौरान उनके साथ उनके कई शिष्य भी मौजूद हैं. बता दें, 2 वर्ष पूर्व भी महंत परमहंस दास अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सप्ताह भर से अधिक समय तक आमरण अनशन कर चुके हैं और उनका यह अनशन बेहद चर्चा का केंद्र रहा था.
अनशन पर बैठे महंत परमहंस दास. तपस्वी छावनी के सामने आमरण अनशन पर बैठे महंत परमहंस दास ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इसमें उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक, धारा 370 को समाप्त कर यह साबित कर दिया है कि देश हित में वह कुछ भी कर सकते हैं. इस दौरान उन्होंने मांग करते हुए कहा कि, जब देश का बंटवारा हुआ तो सर्वाधिक आबादी के आधार पर पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया गया था, लेकिन भारत आज भी हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं हो पाया है. इसलिए मेरी मांग है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए. इसके अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को वापस भारत लाकर उन्हें यहां की नागरिकता प्रदान की जाए.
महंत परमहंस दास ने कहा कि मेरा मानना है कि अगर भारत में अल्पसंख्यक समुदाय अपनी आबादी बढ़ाता रहा तो 1 दिन ऐसा आएगा, जब अल्पसंख्यक फिर देश के विभाजन की बात करेंगे. इससे देश के टुकड़े होने का खतरा है. इसलिए मेरी मांग है कि भारत को अब हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए. इस दौरान उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक मेरी मांग स्वीकार नहीं होगी तब तक मैं अन्य जल का त्याग कर यूं ही आमरण अनशन पर बैठा रहूंगा.
महंत परमहंस दास के आमरण अनशन को लेकर जिला प्रशासन बेहद सतर्क है. अयोध्या जिला प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को लेकर सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की है. बता दें, पूर्व में जब महंत परमहंस दास ने राम मंदिर निर्माण को लेकर आमरण अनशन किया था, तो लगातार सप्ताह भर तक अनशन चलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वयं दखल देकर महंत परमहंस दास का अनशन समाप्त कराना पड़ा था. वहीं एक बार फिर से महंत परमहंस दास ने आमरण अनशन शुरू कर जिला प्रशासन की परेशानी बढ़ा दी है.