अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मामले पर फैसला आने के बाद ट्रस्ट और मंदिर बनने को लेकर के लोगों में उत्साह है. वहीं इस उत्साह को दोगुना करने का काम उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कर दिया है. सरकार ने प्रस्तावित भगवान श्री रामचंद्र की सबसे ऊंची प्रतिमा लगाने की जो भूमि थी, उसे चिन्हित कर लिया है. दरअसल जिले स्थित माझा बरहटा गयापुर द्वाबा में श्रीराम की ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के लिए जमीन का चयन किया गया है.
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी बीपी यादव ने बताया कि जमीन चिन्हित कर ली गई है. साथ ही बताया कि इसी क्षेत्र में 85 एकड़ की जमीन में प्रतिमा और उसकी आसपास की जगह को विकसित किया जाएगा. भगवान श्रीराम की स्थापित की जाने वाली इस प्रतिमा को विश्व की विशेष प्रतिमा का दर्जा भी दिया जाएगा. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने प्रस्तावित जमीन के लिए हरी झंडी दे दी है. जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने संबंधित जमीन के बारे में लोगों से 15 दिन में आपत्ति मांगी है.
ये भी पढ़ें-शामली: सपा विधायक नाहिद हसन को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भेजा जेल
आलाधिकारियों के साथ खुद मुख्यमंत्री ने इस जगह का निरीक्षण किया था. प्रदेश सरकार की ओर से योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 447 करोड़ रुपये भी जारी हुए थे, लेकिन क्षेत्रीय निवासियों और किसानों ने जमीन अधिग्रहण किए जाने का विरोध किया था. निर्माण को लेकर आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर हाई लेवल कमेटी बनाई गई. इसके बाद आनन-फानन में योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए राम नगरी के आसपास की अन्य जमीनों की तलाश और पैमाइश का काम शुरू हुआ. प्रस्तावित क्षेत्र मीरापुर में पर्यावरण की ओर से निर्माण की एनओसी नही मिल पाई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन की ओर से मूर्ति स्थापना के लिए माझा बरेहटा क्षेत्र का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसको प्रदेश सरकार ने हरी झंडी दे दी.
ये भी जानें-महाराष्ट्र : चुनाव के दौरान शिवसेना-एनसीपी नेताओं की फोन टैपिंग, राउत ने किया दावे का समर्थन
- 100 करोड़ रुपये शासन से जमीन खरीदने के लिए हुआ आवंटन.
- लगभग 86 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा.
- 260 किसानों से जमीन का किया जाएगा अधिग्रहण.
- पहले भगवान श्रीराम की प्रतिमा मीरापुर द्वाबा में स्थापना के लिए प्रस्तावित थी.
- तकनीकी कारणों से इस फैसले को बदल दिया गया.