अयोध्या: शनिवार की दोपहर कोतवाली नगर क्षेत्र के खवासपुरा इलाके में एक महिला बैंक अधिकारी की आत्महत्या के मामले में मृत बैंक अधिकारी के पिता की तहरीर पर कोतवाली नगर में आईपीएस आशीष तिवारी, विवेक गुप्ता और एक अन्य पुलिसकर्मी अनिल रावत के खिलाफ हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. इस मामले में मृत युवती के पिता ने पुलिस को तहरीर देकर बताया है कि उनकी बेटी को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था. जिसके कारण उसने आत्महत्या जैसा दर्दनाक कदम उठाया. इस मामले में एक आईपीएस का नाम सामने आने के बाद पूरा प्रकरण बेहद हाईप्रोफाइल हो गया है.
बता दें कि बीती रात पोस्टमार्टम हाउस पर भी परिजनों ने मुकदमा दर्ज किए जाने और आईपीएस का नाम न शामिल किए जाने पर नाराजगी जताई थी और मृत युवती का शव लखनऊ ले जाने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद मौके पर पहुंचे प्रशासन के आला अधिकारियों ने तत्काल मुकदमा दर्ज कराया जिसके बाद आधी रात के बाद मृत युवती का शव लखनऊ के लिए रवाना कर दिया गया.
जिस लड़के से हुई शादी उसी पर लगा है धमकाने का आरोप
आत्महत्या की घटना को अंजाम देने वाली पंजाब नेशनल बैंक के सर्किल ऑफिस में अफसर के पद पर तैनात मृतक श्रद्धा गुप्ता के पिता राजकुमार गुप्ता ने कोतवाली नगर में तहरीर दी है कि उनकी बेटी की शादी उतरौला गोंडा के रहने वाले विवेक गुप्ता से तय हुई थी. दोनों के बीच फोन पर बातचीत भी होती थी. कोरोना में लॉकडाउन लगा होने के कारण उनकी बेटी की शादी नहीं हो पाई. बाद में उनकी बेटी ने बताया कि विवेक गुप्ता का व्यवहार ठीक नहीं है. इसलिए वह उस से शादी नहीं करना चाहती. जिसके बाद से लखनऊ में एक कंपनी में काम करने वाले विवेक गुप्ता ने उनकी बेटी को तंग करना शुरू कर दिया और धमकाना शुरू कर दिया.
तहरीर में शिकायत की गई है कि आरोपी विवेक गुप्ता अपने संबंध कई बड़े अधिकारियों से बताता था और कई बड़े लोगों से उनकी बेटी पर दबाव डलवाता था. जिनमें आईपीएस आशीष तिवारी भी शामिल हैं. जो इस समय लखनऊ में तैनात हैं. इसके अलावा एक अन्य पुलिसकर्मी अनिल रावत भी उनकी बेटी को प्रताड़ित करता था. इस प्रकरण में मृतक युवती के पिता ने तीनों के खिलाफ तहरीर कोतवाली नगर में दी है. जिसके बाद तीनों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कर ली गई है.
परिजनों के दबाव के बाद दर्ज हुआ आईपीएस के खिलाफ मुकदमा
इस पूरे मामले में एक आईपीएस अधिकारी का नाम सामने आने के बाद पुलिस भी कुछ भी बोलने से कतरा रही थी. देर शाम जब मृत युवती का शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा उस समय तक आरोपियों के खिलाफ एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी. जिसके कारण पीएम हाउस पर मौजूद मृत युवती के परिजनों ने शव को लखनऊ ले जाने से इंकार कर दिया. जिसके बाद मौके पर पहुंचे आईजी रेंज केपी सिंह, डीएम नीतीश कुमार, एसएसपी शैलेश पांडे के समझाने पर मामला शांत हुआ. पहले तीनों व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद पीएम हाउस से मृत युवती श्रद्धा गुप्ता का शव लखनऊ के लिए रवाना कर दिया गया.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर मृत युवती को इंसाफ दिलाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. इस ट्वीट के बाद मामला बेहद गर्म हो गया है. पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और जांच की जा रही है. प्रथम दृष्टया यही बात सामने आई है कि जिस युवक विवेक गुप्ता से युवती की शादी तय हुई थी उसने अधिकारियों का नाम लेकर श्रद्धा गुप्ता को धमकाया था जिसके बाद यह घटना सामने आई है.
श्रद्धा के घर पहुंचे सांसद संजय सिंह, बोले- न्याय दिलाने के लिए सड़क से संसद तक लड़ेंगे लड़ाई
आत्महत्या करने वाली महिला बैंक कर्मी के परिजनों से मिलने रविवार को राज्यसभा सांसद संजय सिंह उनके घर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर न्याय दिलाने का आश्वासन दिया. राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम के सी ब्लॉक स्थित मृतक श्रद्धा गुप्ता के परिजनों से उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि वह पीड़ित परिवार के साथ हैं. न्याय दिलाने के लिए वह सड़क से संसद तक इस की लड़ाई लड़ेंगे.
पीड़ित परिजनों से मिलने सांसद संजय सिंह उनके घर पहुंचे वहीं, मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार वालों से मेरी बातचीत हुई है. उनका कहना था कि विवेक गुप्ता नाम के व्यक्ति का नाम सुसाइड नोट में लिखा है. वह बराबर प्रताड़ित करता था. और दो नाम पुलिस के लोगों के भी हैं. आशीष तिवारी एसएसपी थे अयोध्या के और दूसरा अनिल रावत. संजय सिंह ने कहा अजीब सी बात है, उत्तर प्रदेश में एक नहीं अनेक घटनाएं हैं जिसमें पुलिस वालों का नाम आ रहा है. पुलिस की जिम्मेदारी है लोगों की जीवन की रक्षा करने की. पुलिस से प्रताड़ना के कारण या उससे जुड़े हुए लोगों के कारण एक होनहार अधिकारी को आत्महत्या करनी पड़ी.
संजय सिंह ने कहा- पीड़ित परिवार का कहना था कि कितना समय हो चुका है, अभी तक 1 लोगों की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. जो जानकारी मिली है कि घर वालों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कोई कॉपी नहीं दी गई है, ना ही कोई अरेस्टिंग हुई है. ना इस पूरे मामले में कोई कार्रवाई हुई है. परिवार की मांग है इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. जब तक यह जांच नहीं हो जाती, सारे पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाए. उनको पद पर रहने का अधिकार नहीं है. अगर वह पद पर रहेंगे तो उसकी निष्पक्ष जांच नहीं होगी. तहकीकात की जाए. 3 नाम तो सुसाइड नोट में लिखे गए हैं. घटना से पहले लिखे गए सुसाइड नोट को ही मुख्य एविडेंस माना जाता है.