अयोध्या : जनवरी का महीना बहुत ही अहम होने जा रहा है. खिचड़ी मनाने के बाद पूरा देश रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मना रहा होगा. 22 जनवरी का दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो जाएगा. क्योंकि इसी दिन हम सबके रामलला अपने महल में विराजमान हो जाएंगे. यह एक बहुत बड़ा उत्सव होगा, जिसे पूरा देश मना रहा होगा. इतिहासकार बताते हैं कि ऐसा उत्सव अपने ही देश में लगभग 400 साल पहले मनाया गया था. तब भी ठीक इसी तरीके से आयोजन हुए थे और जनता खुशी मना रही थी. उस समय देश में दो बड़े मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. जो काशी और गया में स्थित हैं.
रामलला के भव्य उत्सव की तैयारी :अयोध्या में हो रहे रामलला के महोत्सव को इतिहास का एक बड़ा उत्सव माना जा रहा है. बीएचयू के पुरातत्व विभाग का कहना है कि यह उत्सव लगभग 400 साल बाद हो रहा है. काशी में बाबा विश्वनाथ की प्राण प्रतिष्ठा के बाद ऐसा कोई भव्य उत्सव नहीं हुआ है. अहिल्याबाई ने जब बाबा विश्वनाथ की स्थापना की थी तब इस तरीके का महोत्सव आयोजित किया गया था. अब लगभग 400 साल बाद अयोध्या में परंपरागत विधि से रामलला के भव्य उत्सव की तैयारी की जा रही है और प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसी को लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने इतिहास की जानकारी दी है.
वर्षों पहले हुई थी ऐसी प्राण प्रतिष्ठा |
- वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर में 400 साल पहले हुई थी प्राण प्रतिष्ठा. |
- राजाओं के काल में होता था राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा जैसा भव्य आयोजन. |
- अयोध्या में होने वाला कार्यक्रम 400 साल पहले जैसे कार्यक्रम जैसा ही होगा. |
- राजाओं के काल में मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम महीने भर चलते थे. |
- इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था. |
महारानी अहिल्याबाई ने कराया था मंदिर निर्माण :इस बारे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरातात्विक विभाग के प्रोफेसर अशोक सिंह ने बताया कि, राम मंदिर उद्घाटन का और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का जो भव्य आयोजन हो रहा है. जहां तक अगर इतिहास में देखा जाए इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने जब विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था और साथ ही साथ उन्होंने गया में विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था. ये दो साक्ष्य हमारे पास ऐसे हैं, जिसमें हम कह सकते हैं कि आज से करीब 400 साल पहले इस तरह का आयोजन महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था. उसके बाद आज वर्तमान में यह जो भव्य राम मंदिर का आयोजन हो रहा है वह हमें देखने को मिल रहा है.