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कहीं वर्षों पहले बिना छत के ही बन गया आवास, कहीं आज भी है पक्के घर की आस - mukkyamantri awas yojna

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों के चयन में मनमानी व भ्रष्टाचार के सवाल भी सिर उठाए खड़े हैं. सरकारी दावे कुछ भी कहें, लेकिन प्रदेश के जिले में अब भी गरीबों की ऐसी बड़ी संख्या है जिन्हें छत का इंतजार है. जिनके अरमानों पर ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों की जोड़ी ने पानी फेर रखा है. वहीं कुछ आवास आज भी अधूरे पड़े हैं. योजना की बारे में जानने के लिए जब हम अमेठी जिले के मुसाफिरखाना विकासखण्ड के गांवों में पहुंचे तो हकीकत चौंकाने वाली थी.

अमेठी में आवास योजना में लापरवाही
बिना छत के ही बन गया प्रधानमंत्री आवास

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Published : Dec 14, 2020, 8:59 AM IST

अमेठी : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में सर्वाधिक आवास निर्माण कराकर न केवल सबको चौंकाया है, बल्कि विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत भी किया गया. सरकार की मंशा है कि 2022 तक सभी गरीबों को आवास मिल जाए. बिना छत कोई भी न रहे, लेकिन सरकार की इस मंशा पर पंचायत स्तर से जमकर लापरवाही हो रही है. हालात ये है कि किसी के आवास पर अभी छत नहीं पड़ी तो किसी का नाम फाइलों में ही टहल रहा है.

अमेठी में गरीबों ने नहीं मिल रहे आवास

पूर्ववर्ती सरकार से तुलना करें तो योगी सरकार की अभी तक की कोशिश निश्चित तौर पर पीठ थपथपाने के काबिल है, लेकिन सभी गरीबों को छत उपलब्ध कराने की मुहिम में अभी बहुत कुछ करना बाकी है. क्योंकि मॉनिटरिंग के आभाव में योजनाएं जरूरतमंदों के दरवाजे तक पहुंच कर दम तोड़ दे रही हैं.

भ्रष्टाचार की वजह से नहीं बन पा रहे आवास

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों के चयन में मनमानी व भ्रष्टाचार के सवाल भी सिर उठाए खड़े हैं. सरकारी दावे कुछ भी कहे, लेकिन प्रदेश के जिले में अब भी गरीबों की ऐसी बड़ी संख्या है जिन्हें छत का इंतजार है. जिनके अरमानों पर ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों की जोड़ी ने पानी फेर रखा है. वहीं कुछ आवास आज भी अधूरे पड़े हैं. योजना की बारे में जानने के लिए जब हम अमेठी जिले के मुसाफिरखाना विकासखण्ड के गांवों में पहुंचे तो हकीकत चौंकाने वाली थी.

अधिकारी गरीबों को दे रहे भ्रामक सूचना

दीवार खड़ी, छत नदारद

मुसाफिरखाना विकास खण्ड अंतर्गत पूरे चन्द्रिका मझगवां गांव निवासी रामावती का घर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ही बना है, बाहर से सब ठीक है, दीवारें चकाचक खड़ी हैं, लेकिन इस पर पांच से अब तक छत नहीं लग पाई. बतौर रामावती, प्रधान कहते हैं कि छत के लिए अलग से पैसा आंवटन होगा तब ही वह लग पाएगा. रामावती की पहुंच अधिकारियों तक नहीं है. पति राम करन की चार साल पहले मौत हो चुकी है. घर पर घास-फूस का छप्पर डालकर रामावती चार बच्चों के साथ किसी तरह से दिन काट रही हैं. रामवती बताती हैं कि गरमी के दिन तो कट जाते हैं, लेकिन जाड़े और बरसात के दिन काटने मुश्किल हो रहे हैं.

गरीबों को नहीं मिल पा रहा आवास



कई वर्षों से है आवास की आस

वहीं चंद्रिका मझगवां गांव की ही रहने वाली चंद्रावती देवी बताती हैं कि उनको अभी तक आवास नहीं मिला है. घर की हालत जर्जर है. पति शिवदर्शन की मजदूरी से किसी तरह दो जून की रोटी चल पाती है. कच्चे मकान में बच्चों को लेकर रहने में हमेशा डर लगा रहता है. चंद्रिका देवी कहती है कि प्रधान कई बार आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक उनको आवास नहीं मिल सका है. सर्द और बारिश के मौसम में उनके परिवार को काफी तकलीफें झेलनी पड़ती है.

विकास की योजनाओं को तरसते गांव


नहीं है सिर छुपाने की जगह

कृष्णदेव तिवारी पुत्र उमाशंकर तिवारी ने बताया कि उन्हें कई वर्षों बीमारी ने घेर रखा है. जिसके चलते वे कर्जदार भी हो गए हैं. उनका परिवार कच्चे घर में रहता है. उन्होंने अधिकारियों से आवास देने को लेकर गुहार लगाई है, लेकिन वहां कहा जाता है कि जब आपका नंबर आएगा तब आपको आवास मिल पाएगा. इन मामलों पर जब ग्राम प्रधान अरमान अली से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में पात्रों को पीएम आवास दिए गए हैं और अन्य पात्रों के नाम आवास सूची में डलवाया गया है. वहीं जब रामावती के आवास में छत न पड़ने को लेकर मझगवां के ग्राम सचिव अमीषा पटेल से बात की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात कही.

कैसे होगा प्रधानमंत्री का सपना साकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर अन्य मौकों पर 2022 तक हर गरीब को छत देने की बात कही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन जिनके लिए यह सब प्रयास किया जा रहा है उन तक योजनाएं पहुंच ही नहीं पा रही है. योजनाओं को जमीन पर उतरने से लेकर इसे पूरा करने में अधिकारी से लेकर प्रतिनिधि तक भ्रष्टाचार करने में लगे हैं. अमेठी के इस गांव की हालत तो मात्र एक नमूना है, प्रदेश भर में इसी तरह से अधिकारी और प्रतिनिधि का गठजोड़ गरीबों को उनके हक से दूर करता जा रहा है.

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