अम्बेडकरनगर:जिले में मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित सूफी संत मखदूम अशरफ सिमनानी की दरगाह सभी सम्प्रदयों की आस्था का केंद्र है, जिसे लोग किछौछा शरीफ के नाम से जानते हैं. सैकड़ों साल पूर्व खाड़ी के सिम्नान प्रदेश से अपनी बादशाहत छोड़कर आए इसी स्थान को मखदूम साहब ने अपनी कर्मभूमि बनाई और बिना किसी भेद भाव के लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. इस समय मखदूम अशरफ की 633वां उर्स मनाया जा रहा है.
दुनिया भर से आते हैं लाखों लोग
इस मौके पर दुनिया भर के लाखों लोग यहां आते हैं. इस दरगाह पर आस्था रखने वाले दोनों समुदायों के लोग बिना किसी भेदभाव के मजार पर आकर अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए दुआ मांगते हैं. लोगों का अटूट विश्वास है कि मखदूम साहब की दरगाह पर मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है.
अमन चैन और भाईचारेकी मांगते हैं दुआ
वैसे तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं का तांता साल भर लगा रहता है, लेकिन इस्लामिक मुहर्रम महीने की 27वीं और 28वीं तारीख को मखदूम साहब के उर्स पर देश-विदेश से लाखों की संख्या लोग आकर जियारत करतें हैं. इस मौके की सबसे खास बात ये है कि खिरका (मखदूम साहब द्वारा पहना गया विशेष कपड़ा) पहनकर मुल्क में अमन चैन, भाईचारे और दुनिया भर से आये लोगों के लिए दुआ मांगी गई.