अलीगढ़: जिले में एक ऐसा मामला आया है, जिसमें युवक ने 26 महीने की सजा उस जुर्म में काटी जो उसने किया ही नहीं था. दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट को डीएनए रिपोर्ट ने झूठा साबित कर दिया. डीएनए रिपोर्ट के अनुसार आरोपी युवक बच्ची का जैविक पिता नहीं है. इसके बाद हाईकोर्ट आदेश पर युवक को जेल से रिहा कर दिया गया. इस घटना के बाद पुलिस के सिस्टम पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
दुष्कर्म का था आरोप
यह मामला थाना बरला क्षेत्र के गांव दतावली इलाके का है. जहां 23 फरवरी 2019 को युवक अमित के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट और धमकी देने का आरोप था. पुलिस ने इस मामले में अमित पर 13 साल की किशोरी के साथ दुष्कर्म करने का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद पुलिस ने अमित के परिवार के लोगों को थाने में बैठा लिया था. जबकि अमित फरीदाबाद में नौकरी कर रहा था. उसे जब इस बात की भनक लगी तो वह अपने घर पहुंचा. बरला थाना प्रभारी के बुलाने पर अमित थाने पहुंचा. इसके बाद अमित को पुलिस ने 26 फरवरी को बिना जांच किए ही जेल भेज दिया. अप्रैल 2019 में किशोरी ने बच्ची को जन्म दिया, जिसका पिता अमित को बताया गया.
हाईकोर्ट से मिली डीएनए जांच की अनुमति
इस मामले में अमित के पिता ने कोर्ट में जमानत याचिका डाली लेकिन, बच्ची के जन्म की दलील सामने आने पर जमानत याचिका खारिज हो गई. इस मामले में एडवोकेट हरिओम वार्ष्णेय के माध्यम से पीड़ित ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा. हाईकोर्ट से डीएनए जांच की अनुमति मिली. लखनऊ से आई डीएनए रिपोर्ट में अमित को निर्दोष पाया गया और उसे 26 महीने बाद होली के दिन रिहा कर दिया गया. हालांकि इस मामले में पास्को एक्ट के तहत कोर्ट में सुनवाई जारी है.