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अलीगढ़ः कोरोना के डर से घर से नहीं निकली, बच्चे भूखे मरते रहे

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (aligarh) जिले में एक महिला और पांच बच्चे भूख से तड़पते रहे लेकिन कोरोना (corona) के डर से बाहर नहीं निकले. यही नहीं, अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी बुलाई तो इसलिए जाने से मना कर दिया, कहीं डॉक्टर किडनी न निकाल लें.

अलीगढ़
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Published : Jun 18, 2021, 7:43 AM IST

Updated : Jun 18, 2021, 9:46 AM IST

अलीगढ़: ठंडा पड़ा चूल्हा, पतीले में उबलने के लिए रखे आलू, दीवारों पर उकेरी तस्वीरें और घर में नाममात्र का सामान...यह तस्वीर है अलीगढ़ (aligarh) जिले के मंदिर का नगला इलाके में भूख (hunger) से मर रहे परिवार के घर की. भूख से मर रही गुड्डी देवी के घर की हालत भुखमरी की पूरी कहानी बयां करती है. गौरतलब है कि गुड्डी देवी और उनके पांच बच्चे 15 दिनों से भूख से बिलख रहे थे लेकिन वह बच्चों के संग घर में ही बंद रहीं. एक रिश्तेदार घर पहुंचा तो देखा भूख से परिवार मर रहा है, तब जाकर अस्पताल में भर्ती कराया. इतने दिनों में सभी लोग भूख से हड्डी का ढ़ांचा बन गए थे.

पड़ोस के लोगों ने बताया कि गुड्डी देवी के घर कई बार लोग गए लेकिन कोरोना के डर से घर का दरवाजा नहीं खोला. एक कमरे के घर में मां अपने पांच बच्चों के साथ रह रही थी. घर के अंदर ढंग के कपड़े भी नहीं थे. खाने को एक दाना नहीं था. पड़ोसियों ने बताया कि भूख से लड़ने के लिए ज्यादातर सामान बेच दिया. पिछले लॉकडाउन में गुड्डी के पति विनोद की मौत के बाद परिवार की हालत बिगड़ गई. फैक्ट्री बंद होने से गुड्डी और बड़े बेटे अनिल को कोई काम नहीं मिला. गुड्डी का न तो आधार कार्ड बना था न ही राशन कार्ड. राशन की दुकान से भी गुड्डी को मायूसी हाथ लगी. कुछ दिन मांग कर गुड्डी ने बच्चों का पेट भरा लेकिन फिर कुछ खुद्दारी सामने आ गई. परिवार के लोग पानी, चटनी, चावल, चाय के सहारे काम चलाते रहे लेकिन 15 दिन में बीमारी और भूखमरी ने इनके शरीर को हड्डी का ढांचा बना दिया.

अलीगढ़ में भुखमरी

पड़ोस में रहने वाली उर्मिला ने बताया कि गुड्डी ने कभी भूखे रहने की बात नहीं बताई लेकिन बीच में उन्होंने 100-50 रुपये और आटा, चावल दिया था. वहीं, कोरोना महामारी के चलते भी घर में झांकने कोई नहीं पहुंचा. बच्चे भोजन के लिए चिल्लाते लेकिन मां गुड्डी दरवाजा बंद कर बच्चों के दर्द को पी जाती. पड़ोस के रहने वाले रवि राणा ने बताया कि 27 मई को परिवार के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने गुड्डी के घर पहुंचे थे लेकिन कोविड-19 के चलते अस्पताल नहीं गए. भूख से बिलखते बच्चों को पानी के सहारे जिंदा रखा.

वहीं गुड्डी के रिश्तेदार भुखमरी और बीमारी में झांकने तक नहीं आए. रिश्तेदारों ने हाल-चाल भी नहीं जाना. गुड्डी के सास अंगूरी देवी मंदिर का नगला इलाके में ही कुछ दूरी पर रहती हैं. जब उनसे गुड्डी के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि मेरी तबीयत भी खराब है. वहीं एक महिला ने बताया कि बाहर रहती हूं. आज ही गांव में आई हूं. गांव के प्रधान वीरपाल सिंह ने गुड्डी के परिवार को अस्पताल में भर्ती करने के लिए दो गाड़ियां बुलाई थीं लेकिन गुड्डी को भय था कि अस्पताल में किडनी निकाल ली जाती है. इस डर के चलते अस्पताल नहीं गई. प्रधान ने भी बताया कि 500 रुपये देकर गुड्डी की सहायता की थी. कोरोना के इंजेक्शन से गुड्डी घबरा रही थीं. प्रधान वीरपाल ने बताया कि डर की वजह से कोरोना की वैक्सीन गांव में कोई नहीं लगवा रहा है.

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बहरहाल, गुड्डी देवी की भूख की तस्वीर ने सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी है. अब गुड्डी और परिवार का इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है. अब जब मामला सुर्खियों में आ गया है तो गुड्डी को नकद रुपये दिए जा रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन राशन के साथ आवास, जॉब कार्ड, विधवा पेंशन, आधार कार्ड और बिजली कनेक्शन का पूरा इंतजाम कर रही है.

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Last Updated : Jun 18, 2021, 9:46 AM IST

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