अलीगढ़: ठंडा पड़ा चूल्हा, पतीले में उबलने के लिए रखे आलू, दीवारों पर उकेरी तस्वीरें और घर में नाममात्र का सामान...यह तस्वीर है अलीगढ़ (aligarh) जिले के मंदिर का नगला इलाके में भूख (hunger) से मर रहे परिवार के घर की. भूख से मर रही गुड्डी देवी के घर की हालत भुखमरी की पूरी कहानी बयां करती है. गौरतलब है कि गुड्डी देवी और उनके पांच बच्चे 15 दिनों से भूख से बिलख रहे थे लेकिन वह बच्चों के संग घर में ही बंद रहीं. एक रिश्तेदार घर पहुंचा तो देखा भूख से परिवार मर रहा है, तब जाकर अस्पताल में भर्ती कराया. इतने दिनों में सभी लोग भूख से हड्डी का ढ़ांचा बन गए थे.
पड़ोस के लोगों ने बताया कि गुड्डी देवी के घर कई बार लोग गए लेकिन कोरोना के डर से घर का दरवाजा नहीं खोला. एक कमरे के घर में मां अपने पांच बच्चों के साथ रह रही थी. घर के अंदर ढंग के कपड़े भी नहीं थे. खाने को एक दाना नहीं था. पड़ोसियों ने बताया कि भूख से लड़ने के लिए ज्यादातर सामान बेच दिया. पिछले लॉकडाउन में गुड्डी के पति विनोद की मौत के बाद परिवार की हालत बिगड़ गई. फैक्ट्री बंद होने से गुड्डी और बड़े बेटे अनिल को कोई काम नहीं मिला. गुड्डी का न तो आधार कार्ड बना था न ही राशन कार्ड. राशन की दुकान से भी गुड्डी को मायूसी हाथ लगी. कुछ दिन मांग कर गुड्डी ने बच्चों का पेट भरा लेकिन फिर कुछ खुद्दारी सामने आ गई. परिवार के लोग पानी, चटनी, चावल, चाय के सहारे काम चलाते रहे लेकिन 15 दिन में बीमारी और भूखमरी ने इनके शरीर को हड्डी का ढांचा बना दिया.
पड़ोस में रहने वाली उर्मिला ने बताया कि गुड्डी ने कभी भूखे रहने की बात नहीं बताई लेकिन बीच में उन्होंने 100-50 रुपये और आटा, चावल दिया था. वहीं, कोरोना महामारी के चलते भी घर में झांकने कोई नहीं पहुंचा. बच्चे भोजन के लिए चिल्लाते लेकिन मां गुड्डी दरवाजा बंद कर बच्चों के दर्द को पी जाती. पड़ोस के रहने वाले रवि राणा ने बताया कि 27 मई को परिवार के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने गुड्डी के घर पहुंचे थे लेकिन कोविड-19 के चलते अस्पताल नहीं गए. भूख से बिलखते बच्चों को पानी के सहारे जिंदा रखा.