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अलीगढ़: AMU में है देश का सबसे पुराना हॉर्स राइडिंग क्लब

यूपी के अलीगढ़ में भारत का सबसे पुराना हॉर्स राइडिंग क्लब है. यह क्लब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में स्थित है. इस हॉर्स राइडिंग क्लब की स्थापना 1883 में की गई थी. आज यहां छात्र और छात्राएं दोनों ही घुड़सवारी कला को सीख रहे हैं और मुकाबलों में भाग ले रहे हैं. इस क्लब के घोड़ों के नाम उनकी पर्सनालिटी के हिसाब से रखा गया है.

AMU में है देश का सबसे पुराना हॉर्स राइडिंग क्लब
AMU में है देश का सबसे पुराना हॉर्स राइडिंग क्लब

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Published : Oct 27, 2020, 4:01 PM IST

अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय देश का सबसे पुराना इकलौता विश्वविद्यालय है, जहां हॉर्स राइडिंग क्लब है. इस क्लब के मेंबर सेना और विभिन्न प्रदेशों की पुलिस के साथ घुड़सवारी प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं. सर सैयद अहमद खान ने 1877 में अलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की थी. स्थापना के बाद से ही खेल-कूद के माहौल को बढ़ावा दिया जाने लगा था. इसके बाद यहां सन 1883 में इस राइडिंग क्लब की स्थापना हुई थी. उस समय एएमयू में पढ़ने वाले नवाब खानदान के लोग राइडिंग करते थे. इसके बाद नवाब मोहम्मद इस्माइल खान ने कॉलेज को चार घोड़े दान किये थे. इसके साथ ही नवाब छतारी, नवाब पहासू, भीकमपुर स्टेट ने भी राइडिंग क्लब को वित्तीय सहायता दी थी. उस समय प्रधानाचार्य थ्योडोर मारीशन कॉलेज में घूमने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल करते थे. आज यहां छात्र और छात्राएं दोनों ही घुड़सवारी कला को सीख रहे हैं और मुकाबलों में भाग ले रहे हैं.

AMU में है देश का सबसे पुराना हॉर्स राइडिंग क्लब.

घोड़ों को पाला जाता है बच्चों की तरह
अब इस राइडिंग क्लब में 22 घोड़े मौजूद हैं. इनकी देख-रेख के लिए 22 कर्मचारी मुस्तैद रहते हैं. लॉकडाउन में भले ही छात्र-छात्राओं ने घुड़सवारी न की हो, लेकिन इन घोड़ों को हमेशा ट्रेनिंग और प्रैक्टिस में रखा जाता है. इनके अस्तबल में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. खाने का भी पूरा इंतजाम रहता है. खाने में घोड़ों को जौं, चना, गुड़, चोकर और हरी घास खिलाई जाती है. बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीनेशन भी किया जाता है. घोड़ों की देख-रेख करने वाले कासिम ने बताया कि इनको एक छोटे बच्चों की तरह पाला जाता है. कहीं कोई चोट या खरोच न लगे, इसका पूरा ध्यान रखा जाता है.

घोड़ों की पर्सनालिटी के हिसाब से रखा गया है नाम
दरअसल, एएमयू के दीक्षांत समारोह और सर सैयद डे समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि को बग्घी पर बैठाकर कार्यक्रम स्थल पर ले जाने की परंपरा है. इस बग्घी में राइडिंग क्लब के घोड़े ही लगते हैं. क्लब के घुड़सवार सुरक्षा घेरा बनाकर मुख्य अतिथि के साथ चलते हैं. इन खास किस्म के घोड़ों के चलते यह क्लब प्रदेश में खास महत्व रखता है. इस तरह का क्लब उत्तर प्रदेश में और कहीं नहीं है. यहां घोड़ों का नाम भी उनकी पर्सनालिटी के हिसाब से रखा गया है. अस्तबल में घोड़ों के नाम शान जरगुल, तराना, चांदबीबी, जुनून, व्हाइट गोल्ड, शाहीन, सुल्तान, डायना, हमसफर, स्टेला, विनसेंट, वीनस, मैजिस्टिक प्रमुख नाम है.

एएमयू के घुड़सवारों ने राष्ट्रीय स्तर पर किया है नाम रोशन
एएमयू हार्स राइडिंग क्लब के कोच इमरान ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के घुड़सवारों ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में भी विश्वविद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है. एएमयू राइडिंग क्लब की कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी हैं. यह क्लब दिल्ली के हॉर्स शो में कई बार पुरस्कार प्राप्त कर चुका है. 1974 में नेशनल चैंपियनशिप बनने पर लंदन की मैगजीन में फोटो सहित राडडिंग टीम को छापा था. इतना ही नहीं 1975 में जब देश के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद अलीगढ़ आए थे, उस समय उन्होंने राइडिंग क्लब को दो घोड़े डोनेट किए थे. 1987 में दिल्ली हॉर्स शो में टेंट पैकिंग स्पर्धा में तीसरा स्थान हासिल किया था. 2012 में ग्रेट गाजियाबाद हॉर्स शो और दिल्ली हॉर्स शो में एएमयू की राइडिंग टीम ने 19 मेडल जीते थे.

घोड़ों को कराई जाती है रेगुलर प्रैक्टिस
राइडिंग क्लब के कोच इमरान ने आगे बताया कि सुबह से ही घोड़ों को एक्सरसाइज करानी शुरू कर दी जाती है. टहलाने और नहलाने के साथ ही चारे का पूरा इंतजाम किया जाता है. राइडिंग क्लब बंद होने के बाद भी घोड़ों को रेगुलर प्रैक्टिस कराई जाती है. उन्होंने बताया कि छात्रों के बैच बने हैं और अल्टरनेट डे पर उन्हें राइडिंग कराई जाती है. छात्रों को टेंट पैकिंग, जंपिंग आदि की ट्रेनिंग भी दी जाती है. इसके बाद छात्र आर्मी और पुलिस के हॉर्स कंपटीशन में भाग लेते हैं.

हिंदुस्तान का सबसे पुराना राइडिंग क्लब
एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार बताते हैं कि एएमयू को यह फख्र हासिल है कि यहां हिंदुस्तान का सबसे पुराना राइडिंग क्लब है. जब विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं था और एमएओ कॉलेज के नाम से जाना जाता था. तभी यहां राइडिंग क्लब की नींव पड़ गई थी.

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