अलीगढ़: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चौथे और अंतिम चरण में गुरुवार 29 अप्रैल को जिले में भी मतदान होना है. जिसके लिए जिले भर में करीब तीन हजार बूथ बनाये गए हैं. पंचायत चुनाव की वोटिंग के लिए जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं.
जिले में ग्राम प्रधान के लिए 867 पद, बीडीसी के 1156 पद और जिला पंचायत सदस्य के 47 पदों के लिए वोट डाले जाएंगे. ताला नगरी के 18 लाख से अधिक मतदाता आज 20,132 प्रत्याशियों की किस्मत पर मुहर लगाकर उसे मतपेटियों में लॉक कर देंगे.
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चुनावी मैदान में कुल 20,132 प्रत्याशी
पंचायत चुनाव के दंगल में जिले में कुल 20,132 प्रत्याशी अपनी ताल ठोक रहे हैं. जिसमें जिला पंचायत सदस्य के 474 प्रत्याशी, प्रधान पद के 6,001 प्रत्याशी, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 5,198 प्रत्याशी और ग्राम पंचायत सदस्य के 8,459 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं.
भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य के सभी वार्डों पर उतारे प्रत्याशी
इस चुनाव में भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य के 47 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने 44 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. इसके अलावा सपा और महान दल ने संयुक्त रूप से 36 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं. जबकि राष्ट्रीय लोक दल ने 26 और कांग्रेस ने 24, आम आदमी पार्टी ने 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 409 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं.
प्रमुख उम्मीदवार
जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भाजपा से एटा सांसद राजवीर सिंह राजू की समधन विजय देवी चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं राजेश भारद्वाज की पुत्रवधू खुशबू भारद्वाज, समाजवादी पार्टी और महान दल के गठबंधन से संजय यादव की पत्नी अर्चना यादव जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं. बहुजन समाज पार्टी से पूर्व जिलाध्यक्ष गजराज विमल की पत्नी प्रेमलता विमल, राष्ट्रीय लोक दल से सुंदर सिंह, राजकुमारी और ममता देवी चुनावी मैदान में हैं. वहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंह की पत्नी भी चुनावी मैदान में हैं. ये सभी प्रमुख उम्मीदवार आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए भी दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि, 2 मई को मतगणना के बाद ही विजेताओं की किस्मत का पता चलेगा. इस बीच जिला पंचायत के प्रत्येक वार्ड में राजनीतिक उठा पटक और जातिगत समीकरण को लेकर हार जीत के आंकड़ों पर जनपद वासियों में चुनावी चकल्लस जारी है.
ये हैं प्रमुख मुद्दे
पंचायत चुनाव के समय में प्रत्याशी इलाके की हर समस्या के निदान का वादा करता है, लेकिन फिर भी क्षेत्र में विकास अधूरा रह जाता है. कई इलाकों में जर्जर सड़क है, तो कहीं अस्पताल की कमी है. वहीं शिक्षा के लिए स्कूल नहीं है. जनपद के ग्रामीण इलाकों में पानी का संकट भी बड़ा है. पंचायत चुनाव में मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दे ही हावी रहते हैं. चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी जीत के लिए स्थानीय समस्याओं को ही मुद्दा बनाता है. जिसमें वो सड़क, बिजली, विद्यालय, सिंचाई, शौचालय, पीने का पानी, पक्की नालियां, गोशाला, कूड़ा घर, शादी घर आदि बनाने का वादा करता है.