आगरा:यूपी के 11 जिलों की 58 विधानसभा सीट पर 10 फरवरी को प्रथम चरण का मतदान होना है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जैसे ही प्रथम चरण की विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की, वैसे ही पार्टी में विरोध और बगावत सामने आने लगी. विरोध और बगावत के बीच आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा को आगरा में बड़ी पटखनी दी है.
भाजपा के तीन बार के सासंद प्रभु दयाल कठेरिया के बेटे अरुण कांत कठेरिया ने भाजपा को छोड़कर आम आदमी पार्टी (आप) का दामन थाम लिया है. आप ने अरुण कांत कठेरिया को आगरा ग्रामीण से प्रत्याशी बनाया है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में अरुण कांत कठेरिया से जमकर भाजपा पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि मैंने गांव-गांव और गली-गली घूमकर अपनी तैयारी की, लेकिन पार्टी ने मुझे टिकट नहीं दिया. भाजपा ने जिन्हें टिकट दिया है, उन्हें आसमान से उतारकर जमीन पर बिठाया है. मेरा मानना है कि जो पूर्व राज्यपाल रही हैं, जिनकी उम्र ही 65-70 हो चुकी है, उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देना कितना सही होगा. जिनकी उम्र खुद चुनाव लड़ाने की है, वे आज खुद चुनाव लड़ रही हैं.
बता दें कि भाजपा नेता प्रभु दयाल कठेरिया तीन बार फिरोजाबाद से सांसद रहे हैं. पूर्व सांसद प्रभु दयाल कठेरिया उस समय के सांसद हैं, जब भाजपा के दो ही सांसद हुआ करते थे. पार्टी में जिस तरह से उन्हें हाशिये पर खड़ा कर दिया है इसको लेकर ही पूर्व सांसद प्रभु दयाल कठेरिया ने सोमवार को भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया था कि उनकी लगातार अनदेखी की गई. लगातार मेहनत के बाद भी उनके बेटे अरुण कांत कठेरिया को पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
'पूर्व राज्यपाल का विधानसभा का चुनाव लड़ना उचित नहीं'
आप के प्रत्याशी अरुण कांत कठेरिया ने बताया कि मैंने पर्चा भी आगरा ग्रामीण विधानसभा से दाखिल कर दिया है. मेरी प्राथमिकता जनता की सेवा है. पिछले एक साल से मैं लगातार गांव-गांव और गली-गरी घूमकर जनता से संपर्क कर रहा था. फिर पार्टी ने मुझ पर विश्वास नहीं जताया. जब उनसे सवाल किया गया कि टिकट कटने के बाद उन्होंने पार्टी से बगावत करके आम आदमी पार्टी का हाथ थामा है तो अरुण कांत कठेरिया ने कहा कि यह कोई बगावत नहीं है.