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बेटों ने पितृपक्ष में मां-बाप को घर से निकाला, पीड़ितों ने बताई दर्दनाक दास्तान

आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में पितृपक्ष के 12 दिन में 15 से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग महिला और पुरुष आए, जो अपने बेटों के सताए हुए हैं. उनसे बात किया गया तो, उनकी आंखें भर आईं. सभी का एक ही दर्द था, जिस बेटे को पाई-पाई जोड़कर पढ़ाया और लिखाया. यह सोचा कि बेटा बुढ़ापे में सहारे की लाठी बनेंगे. वे ही बुढ़ापे में जान के दुश्मन हो बन गए.

रामलाल आश्रम आगरा.

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Published : Sep 27, 2019, 3:54 PM IST

आगराः हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व है. इस साल 14 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक पितृपक्ष है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है. मगर ऐसे बेटे और पुत्रवधू से मरने के बाद श्राद्ध की उम्मीद बेकार है. जिन्होंने जीते जी मां बाप को पितृपक्ष के समय ही घर से निकाल दिया.

रामलाल आश्रम आगरा.

वृद्धाश्रम में जीवन यापन करने को मजबूर

पितृपक्ष के 12 दिन की बात की जाए तो बेटे और पुत्रवधू के सताए 15 बुजुर्ग सिकंदरा के गांव कैलाश स्थित रामलाल वृद्ध आश्रम पहुंचे, जो संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखते हैं. किसी का बेटा प्रॉपर्टी के लिए जान का दुश्मन बन गया, तो कोई बीमारी की वजह से उन्हें अपने पास नहीं रखना चाहता. किसी के बेटों के पास कारोबार के चलते बुजुर्ग मां-बाप के लिए समय नहीं है, तो किसी बुजुर्ग की बहू उस पर जुल्म ढाती है. रामलाल वृद्धाश्रम में 272 बुजुर्ग ऐसे महिला और पुरुष अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

बुजुर्गों का दर्द छलका

मुरादाबाद के कश्मीर सिंह ने बताया कि मैं किसान हूं. गांव में 50 बीघा से ज्यादा खेती मेरे नाम है. एकलौता बेटा परेशान करता है. शराब पीकर गाली-गलौज करता है, इसलिए मैंने घर छोड़ना ही बेहतर समझा और यहां पर रह रहा हूं. ऐसी ही कहानी है आवास विकास कॉलोनी निवासी कमलेश गुप्ता की, उन्होंने कहा कि एक बेटी और एक बेटा है. बेटी की शादी कर दी है. बेटे की बिजली की मोटर वाइंडिंग की दुकान है. एक घर मेरे नाम पर है. बेटा और बहू बहुत ज्यादा परेशान करते थे. मकान की पावर-ऑफ-अटॉर्नी करवाना चाहते थे. जब नहीं की तो परेशान करना शूरू कर दिया और घर से निकाल दिया और वह पति के साथ यहां पर रहने आ गई. ऐसी ही कहानी बिचपुरी क्षेत्र की निवासी सावित्री देवी की ,आगरा निवासी झूला दास, टेढ़ी बगिया नंदलाल पुर निवासी राजेंद्र प्रसाद शर्मा, सूरत निवासी कारोबारी राजेश महेंद्रू, समेत 12 से ज्यादा ऐसे बुजुर्गों की है जो पितृपक्ष के समय वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है.

प्रयास विफल होने पर आश्रम में रखते हैं

रामलाल वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि आश्रम में जो भी बुजुर्ग आते हैं. हमारा पहला प्रयास रहता है कि उन्हें और उनके परिवार के लोगों को समझा-बुझाकर एक साथ भेज दें. जब प्रयास विफल हो जाता है तब उन्हें वृद्ध आश्रम में रखते हैं. इस समय आश्रम में 272 बुजुर्ग रह रहे हैं. श्राद्ध पक्ष के अभी 12 दिन निकले हैं और इनमें 15 वृद्धाश्रम आ चुके हैं. इस आश्रम में सभी भजन-कीर्तन में शामिल होते हैं. कई बुजुर्ग तो ऐसे दोस्त बन गए हैं, जो हर समय एक दूसरे के साथ ही समय बिताना चाहते हैं.

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