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RTI में खुलासा: यूपी में हर रोज तीन बेटियां हो रही लापता - आरटीआई एवं चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस

देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भले ही बेटियों की सुरक्षा के लाख दावे करें. मगर हकीकत यह है कि बेटियां आज भी असुरक्षित हैं. यूपी में हर रोज तीन बेटियां गायब हो रही हैं.

उत्तर प्रदेश में हर रोज तीन बेटियां हो रही लापता
उत्तर प्रदेश में हर रोज तीन बेटियां हो रही लापता

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Published : Nov 26, 2021, 12:03 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 12:25 PM IST

आगरा:देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भले ही बेटियों की सुरक्षा के लाख दावे करें. मगर हकीकत यह है कि बेटियां आज भी असुरक्षित हैं. यूपी में हर रोज तीन बेटियां गायब हो रही हैं. यह सनसनीखेज खुलासा 50 जिलों से मिली आरटीआई की रिपोर्ट से हुआ है. जबकि अन्य जिलों की पुलिस रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. आरटीआई में मिली जानकारी के मुताबिक यूपी में पिछले वर्ष पूरे प्रदेश से 1763 बच्चे लापता हुए थे. जिसमें 1166 बेटियां शामिल थीं. इतना ही नहीं यह आंकडा और डरावना है. इनमें से लापता 1080 बेटियां की उम्र 12-18 वर्ष के बीच है. जिसमें पुलिस ने 966 बेटियां खोज भी निकाली हैं. मगर अभी भी 200 बेटियां लापता हैं.

300 परिवार को है अपने बच्चों का इंतजार

आगरा के आरटीआई व चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि मैंने वर्ष 2020 में लापता बच्चों की जानकारी यूपी पुलिस से मांगी थी. जिसमें से 50 जिलों से जबाव मिले हैं. इन जिलों में 1763 बच्चे लापता हुए हैं. जिनमें से 597 लड़के तथा 1166 लड़कियां शामिल हैं.

यूपी में हर रोज तीन बेटियां हो रही लापता

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वहीं, पुलिस का दावा है कि 1461 बच्चे बरामद कर लिए गए हैं. जिनमें से 302 बच्चे अभी भी लापता हैं. इसमें 102 लड़के और 200 लड़कियां शामिल हैं. 50 जिलों से मिली जानकारी के मुताबिक यूपी में हर रोज लगभग पांच बच्चे लापता हो रहे हैं. कुछ जिलों की पुलिस ने आरटीआई का जबाव देने से सीधे इनकार कर दिया है.

कहां जा रहे हैं लापता बच्चे

आरटीआई एवं चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस का कहना है कि लापता बच्चे आखिर कहां जा रहे हैं. यह चिंतनीय है. यूपी से हर रोज पांच बच्चों का लापता होना चिंता का विषय है. लापता बच्चा चार माह तक बरामद न होने पर विवेचना मानव तस्करी निरोधक शाखा में स्थानांतरित करने का प्रावधान है.

इसके बावजूद भी लापता बच्चों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. इनमें लड़कियों की संख्या और अधिक चितिंत करती है. लापता में 12-18 वर्ष की लड़कियां ज्यादा गायब हो रही हैं या तो लड़कियां प्रेम संबंध के चलते घर से चली गईं या या फिर उनको देह व्यापार में धकेला जा रहा है.

हर जिले में करवाई जाए जनसुनवाई

इसके इतर पारस ने मांग की है कि हर जिले में पुलिस मुख्यालय पर लापता बच्चों की जन सुनवाई कराई जाए. जिसमें थाना के विवेचक और परिजनों को बुलाकर केस की समीक्षा हो. चार महीने तक बच्चा न मिलने पर मानव तस्करी निरोधक थाने से विवेचना कराई जाए. यह थाने हर जनपद में खोले गए हैं.

यह हैं टॉप 5 जिले, जहां से लापता हुए अधिक बच्चे

  • मेरठ - 113
  • गाजियाबाद - 92
  • सीतापुर - 90
  • मैनपुरी - 86
  • कानपुर नगर - 80
Last Updated : Nov 26, 2021, 12:25 PM IST

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