आगरा: नगर निगम ने सुलभ शौचालय में सफाई व्यवस्था रखने की जिम्मेदारी कुछ प्राइवेट संस्थाओं को दी थी. इसमें बड़ा घोटाला सामने आया है. नगर निगम की कार्य प्रणाली के अनुसार इन शौचालयों की सफाई दिन में चार बार की जानी थी. साथ ही 11 बिंदुओं की चेक लिस्ट बननी थी, लेकिन जांच में सामने आया है कि 156 शौचालयों की सफाई के नाम पर नगर निगम को करीब एक करोड़ 47 लाख रुपये सालाना का चूना लगाया गया है.
शहर के महापौर नवीन जैन के आदेश पर गठित की गई कमेटी में शहर के कई पार्षद और नगर निगम के अधिकारी शामिल थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें घोटाले का पर्दाफाश किया गया. नगर आयुक्त ने बताया कि लॉक डाउन से पहले इन संस्थाओं को भुगतान किया गया है, लेकिन जबसे उन्होंने कार्यभार संभाला है तबसे इन शौचालयों की सफाई करने वाली प्राइवेट संस्थाओं को किसी भी तरह का भुगतान नहीं किया गया. नगर निगम जांच में दोषी पाई गई संस्थाओं पर जल्द ही कार्रवाई करेगा,
प्रति शौचालय होता है 79 सौ रुपये का भुगतान
पार्षद रवि माथुर ने बताया कि जिले के 100 वार्ड में करीब 212 शौचालय हैं. इनमें से 56 शौचालयों का रख-रखाव सुलभ एजेंसी कर रही है. बाकी 156 का रख-रखाव ज्योति विकास सहित अन्य एजेंसियों पर है. शौचालय को खोलने का समय सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक का है. इन संस्थाओं को नगर निगम प्रति शौचालय 79 सौ रुपये का भुगतान करता है.
हर महीने लाखों का हुआ गोलमाल
पार्षद रवि माथुर ने बताया कि लगातार शौचालय में सफाई न होने की शिकायतें मिल रही थी. महापौर नवीन जैन के आदेश पर 15 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. कमेटी ने सभी शौचालयों की जांच की. इसमें पाया गया कि कई शौचालयों की ठीक से सफाई नहीं की जा रही थी और उनके वॉश बेसिन भी टूटे हुए थे. वहीं, उन्होंने बताया कि नगर निगम प्रशासन द्वारा झाड़ू, फिनायल, ब्लीचिंग पाउडर की खरीद की गई. इसमें हर महीने 12 लाख 32 हजार का घोटाला हुआ. उनका कहना है कि लापरवाह एजेंसियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए और उनका अनुबंध निरस्त कराया जाए.
पिंक टॉयलेट की सफाई व्यवस्था भी बिगड़ी