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हिंदी का जादू, चीनी स्टूडेंट्स में हिंदुस्तानी नाम रखने का फैशन

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में केंद्रीय हिंदी संस्थान में पढ़ने वाले चीन के स्टूडेंट्स में हिंदुस्तानी नाम रखने का फैशन है. ये स्टूडेंट्स सरलता और सुविधा के लिए हिंदुस्तानी नाम रखते हैं, जो बाद में उनकी पहचान बन जाता है.

चीनी स्टूडेंट्स में हिंदुस्तानी नाम रखने का फैशन
चीनी स्टूडेंट्स में हिंदुस्तानी नाम रखने का फैशन

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Published : Jul 6, 2020, 10:51 PM IST

आगरा: मौजूदा समय में इंडिया-चाइना बॉर्डर पर तनातनी बढ़ी हुई है. मगर फिर भी चीन के स्टूडेंट्स में हिंदुस्तानी नाम रखने का फैशन बरकरार है. चीन की बीजिंग यूनिवर्सिटी और भारत के केंद्रीय हिंदी संस्थान में पढ़ने वाले चीन के स्टूडेंट्स को हिंदुस्तानी नाम रखना पड़ता है. सरलता और सुविधा के लिए रखा गया हिंदुस्तानी नाम बाद में उनकी पहचान बन जाता है. भारत-चीन में तनाव बरकरार होने के बाद भी इस साल अभी तक चीन के 6 स्टूडेंट्स के आवेदन केंद्रीय हिंदी संस्थान को मिल चुके हैं.

चीन की 13 यूनिवर्सिटी में होती है हिंदी की पढ़ाई
चीन की बीजिंग (पेईचिंग) यूनिवर्सिटी में सन् 1939 से हिंदी विभाग संचालित है. इस विभाग में स्टूडेंट्स को हिंदी की पढ़ाई कराई जाती है. केंद्रीय हिंदी संस्थान के कुलसचिव डॉ. चंद्रकांत त्रिपाठी का कहना है कि जापान के बाद चीन दुनिया का दूसरा देश है, जहां यूनिवर्सिटी स्तर पर हिंदी विभाग बना हुआ है. इतना ही नहीं चीन में 13 यूनिवर्सिटी में हिंदी की पढ़ाई होती है, इसलिए चीन के स्टूडेंट्स में हिन्दी पढ़ने का क्रेज बरकरार है.

चीनी स्टूडेंट्स में हिंदुस्तानी नाम रखने का फैशन.

सन् 1972 से संस्थान विदेशी स्टूडेंट्स को पढ़ा रहा हिंदी
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय ने बताया कि सन् 1972 से केंद्रीय हिंदी संस्थान विदेशी स्टूडेंट्स को हिंदी पढ़ा रहा है. संस्थान के आगरा और दिल्ली केंद्र पर 100-100 विदेशी स्टूडेंट्स को हिंदी पढ़ने के लिए प्रवेश दिया जाता है. पिछले सत्र में 42 देशों के स्टूडेंट्स हिंदी पढ़ने आए थे. इस सत्र में भी कोरोना के बावजूद अभी तक विदेशी छात्रों के 60 आवेदन मिले हैं, जिनमें छह आवेदन चाइनीज स्टूडेंट के हैं.

यूं रखते हैं हिंदुस्तानी नाम
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय ने बताया कि हिंदी के पाठ्यक्रम में शिक्षक पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं पढ़ाते हैं. इन कथाओं के मशहूर पात्रों के नाम से चाइना ही नहीं रूस के स्टूडेंट भी प्रभावित होते हैं और फिर उन्हीं फेमस पात्रों का हिंदुस्तानी नाम खुद रख लेते हैं. रजिस्टर में भले ही उनका पासपोर्ट वाला नाम हो मगर बोलचाल और मित्रों से बातचीत में हिंदुस्तानी नाम से ही संबोधन किया जाता है. वहीं कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिनका भारतीय नाम इतना मशहूर हो गया कि उसे बोलचाल में भारतीय नाम से पहचाना जाने लगा.

केंद्रीय हिंदी संस्थान के कुलसचिव डॉ.चंद्रकांत त्रिपाठी ने बताया कि भारतीयों में यह भ्रम रहता है कि चीन के स्टूडेंट्स के नाम एक जैसे होते हैं. इस भ्रम की स्थिति और सुविधा के लिए चाइनीज स्टूडेंट हिंदुस्तानी नाम रखते हैं. चीनी विद्यार्थियों के हिंदुस्तानी नाम इतने मशहूर हो जाते हैं कि उनके परिजन भी उन्हें हिंदुस्तानी नाम से ही पुकारते हैं. यही वजह है कि पढ़ाई के बाद भी वह हिंदुस्तानी नाम को बनाए रखते हैं.

बढ़ रही चाइनीज स्टूडेंट्स की संख्या
केंद्रीय हिन्दी संस्थान के आगरा और दिल्ली केंद्र पर हिन्दी पढ़ने वाले चीनी विद्यार्थियों की संख्या हर साल बढ़ रही है. सत्र 2018-19 में 5 चीनी स्टूडेंट्स हिन्दी पढ़कर गए हैं. सत्र 2019-20 में 6 चाइनीज स्टूडेंट्स हिन्दी पढ़ने आए और सत्र 2020-21 के लिए छह चाइनीज स्टूडेंट्स के आवेदन आ चुके हैं.

ये नाम चीनी स्टूडेंट्स में फेमस हैं
चीनी विद्यार्थियों में सुजाता, मालिनी, विवेक, शिव, पवन, नसरीन, नासिर, सुमालिका, अमर, विष्णु जैसे नाम बहुत प्रचलित हैं. चीनी विद्यार्थियों को हिंदी पढ़ने के बाद दूतावास, ट्रांसलेटर, पत्रकार, एमएनसी कंपनी, शिक्षक और टूरिस्ट गाइड जैसी नौकरियां मिलती हैं.

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