आगरा: ताजनगरी में अपने-अपने काल में मुगल बादशाहों ने तमाम भवनों का निर्माण कराया था. इनमें से एक यमुना किनारे स्थित हाथीखाना भी है. यह अब खंडहर हो गया है. हाथीखाना मुगल बादशाह जहांगीर ने बनवाया था. यह ताजमहल के पूर्वी गेट के नजदीक है. हाथीखाना मोहब्बत की निशानी ताजमहल से भी अधिक पुराना है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब हाथीखाना की बुनियाद मजबूत कर रहा है.
22 लाख रुपये से हो रहा संरक्षण
एएसआई की मानें तो ताजमहल के निर्माण के लिए देश भर और विदेशों से बेशकीमती पत्थरों को मंगाया गया था. हाथीखाना के हाथी बड़े-बड़े पत्थरों को ढोते थे. एएसआई पहले चरण में करीब 22 लाख रुपये से हाथीखाना की बुनियाद मजबूत कर रहा है. इसके बाद छत और पूरा हाथीखाना उसी रूप में लाया जाएगा, जैसा कि जहांगीर और शाहजहां के समय में था.
जहांगीर ने हाथीखाना का निर्माण कराया था. यह उस समय यमुना नदी तक जाने का प्रमुख गेट था. यहां पर हाथी रखे जाते थे, क्योंकि उस समय नदी के रास्ते ही अधिकतर व्यापार होता था. इसका बोर्ड भी एएसआई ने यहां लगाया है. इस बोर्ड पर लिखा है कि 'जब शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण कराया था तो यहां से हाथियों ने बड़े-बड़े पत्थरों को ताजमहल तक पहुंचाया था.'
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हाथीखाना की बुनियाद कर रहे मजबूत
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि 2018 में एएसआई ने अपने संरक्षित स्मारकों की सूची में हाथीखाना को शामिल किया था. कोरोना के चलते साल 2020 में काम पूरा नहीं हो सका. इस समय हाथीखाना के संरक्षण और मरम्मत का कार्य चल रहा है. यह लम्बे समय तक लावारिस रहा. समय की मार की वजह से यह बहुत ही बदहाल स्थिति में पहुंच गया है. यह पूरी तरह से खोखला हो गया है.