आगरा: मुगलिया सल्तनत की राजधानी रहा आगरा जंग-ए-आजादी का भी केंद्र था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस छोड़ने के बाद आगरा में सभा की थी. उनका सपना था कि देश के युवा अंग्रेजों से सामना करें और भारत को गुलामी के चंगुल से आजाद कराएं. कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की कल्पना की थी. नेताजी की आगरा में सभा का मुख्य उद्देश्य छात्रों से संवाद करना था. उस समय आगरा कॉलेज के छात्र नेता कैप्टन भगवान सिंह थे, जो बाद में फिजी के राजदूत भी रहे. वे इस सभा के मेजबान थे. इस सभा की अध्यक्षता मंटोला के लतीफुद्दीन ने की थी. यह वही सभा थी, जिसमें नेताजी की एक आवाज पर छात्रों ने अपने खून से जय हिंद और वंदे मातरम लिख दिया था.
इतिहासकारों की मानें तो सभा के संबोधन के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने युवाओं से आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए हाथ उठवाए, जिसके बाद सभा में चारों ओर हाथ ही हाथ दिखाई देने लगे. इस पर नेताजी ने युवाओं से कागज पर अपने खून से 'जय हिंद' लिखने को कहा. इसके बाद सभा में शामिल युवाओं ने अपने खून से कागज पर 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' लिख दिया था.
ताज सिटी लाइब्रेरी में सबूत मौजूद
इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आगरा के युवाओं से संवाद के सबूत पालीवाल पार्क स्थित ताज सिटी लाइब्रेरी में मौजूद हैं. नेताजी ने सन् 1939 और सन् 1940 में आगरा विश्वविद्यालय के तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष ओपी शर्मा को पत्र लिखे थे, जिसमें उन्होंने आगरा आने की बात कही थी. छात्रसंघ अध्यक्ष को भेजे गए पत्रों की प्रतियां म्यूजियम में रखी हुई हैं. वहीं, आजाद हिंद फौज के झंडा की प्रति भी म्यूजियम में रखी है.
क्रांतिकारियों की याद दिलाता है शहीदी स्मारक
पूर्व एमएलसी और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अनुराग शुक्ला का कहना है कि संजय प्लेस में स्थित शहीद स्मारक क्रांतिकारियों की याद दिलाता है. अंग्रेजी हुकूमत के समय यहां पर उत्तर भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय कारागार था, जिसमें तमाम क्रांतिकारी बंद रहे. कई क्रांतिकारियों ने यहीं पर अपनी जान दी थी. 15 अगस्त को चार दोस्तों ने शहीद स्मारक के लिए यहां झंडा फहराया था. एक लंबी लड़ाई के बाद फिर सरकार से शहीदी स्मारक बनाने की अनुमति मिली. यह उत्तर भारत का पवित्र शहीद स्मारक है, जहां तमाम शहीदों की प्रतिमाएं हैं. चित्र प्रदर्शनी है. यह शहीद स्मारक अपने आने वाली पीढ़ी को आजादी की लड़ाई का इतिहास बताने का काम कर रहा है. शहीद स्मारक के वाचनालय में वे तमाम फाइलें भी हैं, जिनके जरिए शहीदों ने एक दूसरे से संवाद किया था.
आगरा में बनेनेताजी का म्यूजियम
राष्ट्रीय बजरंग दल के महानगर अध्यक्ष अतुल सिंह चौहान का कहना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगरा में म्यूजियम होना चाहिए, जिसमें उनसे जीवन की हर घटना और इतिहास हो, जिससे लोग सुभाषचंद्र बोस के आजादी की लड़ाई और उनके त्याग को जान सकें. हमारी सरकार से मांग है कि आगरा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से म्यूजियम बनाया जाए.