वाराणसी :काशी हिंदू विश्वविद्यालय अब प्रभु श्री राम पर शोध करने की तैयारी में है, जिससे युवाओं को भगवान श्री राम के बारे में बताया जा सके. यह शोध हिंदू स्टडीज के तहत किया जाएगा. अभी तक बीएचयू में हिंदू स्टडीज के तहत एमए कोर्स का संचालन किया जाता रहा है, जिसमें रामायण एक पेपर है. अब पहली बार प्रभु श्री राम पर शोध होने जा रहा है. रामलला के मंदिर में विराजने से जहां राम नाम का संदेश पूरे देश में जाएगा तो वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी राम को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके पाठ्यक्रम में उसे भी शामिल किया गया है जो भगवान राम चित्रकूट में भरत को राजनीति विषयक उपदेश देते हैं. (Ram Mandir 2024)
तृतीय सेमेस्टर में वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि हिन्दू स्टडीज का जो पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम में एक पूरा का पूरा कोर्स तृतीय सेमेस्टर में वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित है. यह पाठ्यक्रम वाल्मीकि रामायण को समग्रता में आज की युवा पीढ़ी के सम्मुख प्रस्तुत करने का एक अभूतपूर्व प्रयास है. इसमें इतिहास भी है और सिद्धांत भी है. अब तक रामायण के विषय में जो कुछ भी लिखा गया उससे विद्यार्थियों को परिचित कराना. इसके साथ ही विभिन्न भाषाओं में जो रामायण लिखी गई उससे विद्यार्थी को परिचित कराना और महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में जो बातें, जो सिद्धांत लिखे गए हैं उनके बारे में और उनके सार को विद्यार्थियों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है.
भगवान राम का दिया भरत को दिया उपदेश शामिल :प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि विशेषकर हमने इस पाठ्यक्रम में अयोध्याकांड का सौवां सर्ग निर्धारित किया है. इसमें भगवान राम चित्रकूट में भरत को राजनीति विषयक उपदेश देते हैं. यह सर्ग संपूर्ण भारतीय जनमानस में कच्चिद सर्ग के रूप में जाना जाता है. भगवान राम ने समाज के छोटे से छोटे तबके से लेकर और ऊंचे से ऊंचे तबके के व्यक्ति के साथ किस प्रकार शासन को व्यवहार करना चाहिए, कैसी उसकी सुख-सुविधा की रक्षा और संवर्धन के लिए प्रयास करने चाहिए, किस प्रकार एक समान दृष्टि रखते हुए राजा को समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित रखना चाहिए. इसका बहुत ही व्यावहारिक, सटीक, सार्वभौमिक एवं सर्वमान्य स्वरूप भरत के सम्मुख उन्होंने प्रस्तुत किया है.
नेट-जेआरएफ की भी व्यवस्था : प्रो. सदाशिव द्विवेदी कहते हैं कि आज भगवान राम के उपदेश को विद्यार्थियों को परिचित कराना चाहिए और ये बताना चाहिए कि हमारी पूरी परंपरा कहीं भी समाज में किसी भी स्तर पर भेद को लेकर नहीं चलती थी. एमए हिन्दू स्टडीज में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेट और जेआरएफ परीक्षा बीते तीन वर्षों से आयोजित की है. उन परीक्षाओं में हमारे विद्यार्थियों ने भी भाग लिया. अब तक जिन विद्यार्थियों ने इस केंद्र में प्रवेश लिया है वो करीब तीन वर्ष में करीब 120 विद्यार्थियों की संख्या है. पहले और दूसरे बैच के जो विद्यार्थी हैं उनमें से 17 विद्यार्थियों ने नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण कर लिया है. इसके बाद उनकी पीएचडी में रजिस्ट्रेशन की पात्रता बन जाती है. केंद्र के द्वारा पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पीएचडी लागू करने की प्रक्रिया की जा रही है.