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Published : May 29, 2019, 3:02 PM IST

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लखनऊ में समीक्षा के दौरान ढीले पड़े अखिलेश के तेवर

लोकसभा चुनाव के नतीजों से यह सवाल लाजिमी हो गया कि क्या अखिलेश यादव अपनी चमक और पिता की राजनीतिक विरासत लगातार खोते जा रहे हैं. कहा जा रहा था कि समीक्षा के दौरान हार के बाद अखिलेश यादव पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकते हैं. साथ ही प्रदेश अध्यक्ष को भी बदला जा सकता है. नकारे नेताओं पर गाज भी गिर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

हार के बाद समाजवादी पार्टी में समीक्षाओं का दौर जारी

लखनऊ: बसपा के साथ गठबंधन करने के बावजूद लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी में समीक्षाओं का दौर जारी है. सोमवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ पार्टी मुख्यालय पर पार्टी नेताओं की बैठक ली. इस दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी मौजूद रहे.

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद जिस तरह सपा नेतृत्व ने आनन-फानन पार्टी प्रवक्ताओं की पूरी टीम भंग कर दी. उससे पार्टी के पदाधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की तलवार लटकने लगी, लेकिन सोमवार को हार की समीक्षा करने बैठे नेतृत्व को जब हकीकत से रूबरू होना पड़ा तो कार्रवाई की तलवार को वापस म्यान में भेजना ही मुफीद लगा.

लखनऊ में समीक्षा के दौरान ढीले पड़े अखिलेश के तेवर.

समीक्षा के दौरान ढीले पड़े सपा नेतृत्व के तेवर

  • समाजवादी पार्टी नेतृत्व लोकसभा चुनाव में ऐसी हार का सामना करने के लिए कतई तैयार नहीं था.
  • बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने के बाद सपा नेतृत्व यह मानकर चल रहा था कि वह चुनाव जीत जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश में भाजपा का सफाया उसी तरह हो जाएगा जैसे लोकसभा के तीन उपचुनाव में गठबंधन को चुनाव प्रचार में हो हल्ला किए बगैर ही कामयाबी का स्वाद चखने को मिल गया था.
  • 22 मई को अखिलेश यादव ने खुद ट्वीट कर कहा था कि कल जब जनादेश आएगा भाजपा का सारा अहंकार मिट जाएगा.
  • यही वजह है कि चुनाव परिणाम उम्मीद के खिलाफ होने पर समाजवादी पार्टी नेतृत्व सकते में आ गया.
  • शुरू के 2 दिन तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी हार के कारणों पर चर्चा नहीं हो सकी.
  • मायावती की पार्टी बीएसपी जो पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में सफाए की स्थिति में आ गई थी.
  • मायावती इस बार लोकसभा चुनाव में कुछ हद तक अपनी वापसी कराने में सफल रहीं.
  • 20 प्रतिशत से ज्यादा वोट और 10 सीटें लेकर मायावती पार्टी और साख दोनों बचाने में सफल रहीं.

दरअसल, सोमवार को मुलायम सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव की मीटिंग हुई. इसके बाद उन्होंने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को बारी-बारी बुला लिया. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल विधान परिषद में नेता अहमद हसन पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह, विधानसभा में नेता सचेतक ललई यादव, सभी फ्रंटल संगठनों के अध्यक्ष के साथ मीटिंग शुरू हुई, तो यह चर्चा भी तेज हो गई के प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी फ्रंटल संगठनों के अध्यक्षों पर गाज गिरने वाली है, लेकिन शाम होते-होते यह चर्चा कमजोर होने लगी और मंगलवार तक तो चर्चा ने दम ही तोड़ दिया.

अब कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी अपने किसी नेता या कार्यकर्ता पर कोई कार्रवाई करने नहीं जा रही है. इसके बजाय लोगों से सकारात्मक सुझाव मांगे जा रहे हैं. पहले संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा. संगठन की मजबूती में अपेक्षित सहयोग न करने वाले नेताओं पर ही कार्रवाई की जा सकती है.

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