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वाराणसी के घाटों पर जमा मिट्टी की सिल्ट, पर्यटकों और पुरोहितों के लिए बढ़ी मुसीबत - काशी में गंगा नदी

गंगा का जलस्तर कम होने से वाराणसी के घाटों पर मिट्टी की सिल्ट (silt of clay deposited on varanasi ghats) जमा हो गई है. इससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Sep 6, 2022, 11:13 AM IST

वाराणसी: काशी में गंगा नदी (Ganga river in Kashi) का जलस्तर तेजी से घट रहा है. इससे घाटों पर पानी के साथ बहकर आई मिट्टी जमा (clay deposited on varanasi ghats) हो गई है. इससे घाट किनारे रहने वाले लोग, व्यापारी और पुरोहित काफी परेशान हैं. घाट किनारे रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वाराणसी में 84 घाट श्रृंखला हैं और यहां के सभी घाटों का यही हाल है. हर घाट पर लगभग 5 फीट मिट्टी की सिल्ट जमा (clay deposited on varanasi ghats) है. इससे घाट किनारे पूजा-पाठ करने वाले पुरोहित और नाविक सभी परेशान हैं. वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों पर लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. इसमें दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, केदार घाट, पुराना अस्सी घाट, नया अस्सी घाट, रविदास घाट, तुलसी घाट, पपुआ घाट, हनुमान घाट, पांडेय घाट और शिवाला घाट आदि शामिल हैं.

जानकारी देते स्थानीय

गंगा का जलस्तर घटने के बाद चिकनी मिट्टी की सिल्ट पूरे घाट पर जमा है, जिससे उस पर चलना मुश्किल है. इसकी वजह से लोग घाट तक तो आ रहे हैं, लेकिन नीचे नहीं उतर पा रहे हैं और नाव भी नहीं चल रही है.

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स्थानीय लोगों ने बताया कि मां गंगा का जलस्तर तेजी से घट रहा है, जिसकी वजह से अब पूरे घाट खाली हो रहे हैं. लेकिन, नगर निगम और कार्यदायी संस्था की लापरवाही की वजह से घाटों पर सिल्ट (silt of clay deposited on varanasi ghats) जमा है. इससे यहां आने पर दिक्कत हो रही है. पर्यटकों के साथ तीर्थ पुरोहित भी घाट पर नहीं आ पा रहे हैं. सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द अधिक से अधिक पंप लगाकर इन घाटों को साफ करवाया जाए.

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