वाराणसी: हाल ही में विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने छोटे दलों के साथ गठबंधन करके बड़ी राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी की थी. लेकिन, अखिलेश यादव का यह दांव काम नहीं आया और ओमप्रकाश राजभर समेत अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने का सपना चूर-चूर हो गया. इसके बाद अखिलेश यादव से ओमप्रकाश राजभर समेत उनके साथ जुड़े अन्य छोटे दल अलग हो गए. अब एक बार फिर से निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में गठजोड़ शुरू हो चुका है.
अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव के उसी फार्मूले पर काम करने की तैयारी कर रहे हैं जिसमें वह फेल हो गए. यानी कि अखिलेश फिर से छोटे दलों को साथ लेकर निकाय चुनाव में वार्ड स्तर पर बड़ी राजनीतिक पारी खेलने की प्लानिंग कर रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने हाल ही में ओमप्रकाश राजभर से अलग हुए ओपी राजभर के करीब शशि प्रकाश सिंह से मुलाकात कर अपने साथ चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है. इस बारे में शशि प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने 8 सितंबर को अखिलेश यादव के साथ हुई बातचीत के बारे में जानकारी देकर निकाय चुनाव में अखिलेश के साथ अपने और पूर्वांचल के लगभग 10 छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
दरअसल, शशि प्रताप सिंह ओमप्रकाश राजभर के सबसे करीबी नेता माने जाते थे. ओपी राजभर के साथ लगभग 17 सालों तक साथ रहकर उनके राजनीतिक जीवन को आगे बढ़ाने में शशि प्रताप ने काफी बड़ा योगदान दिया. लेकिन, 2022 के चुनावों में ओपी राजभर और शशि के बीच दरार पड़ी और शशि प्रताप ने ओपी राजभर का साथ छोड़ दिया. इसके बाद राजभर के साथ पूर्वांचल के कई बड़े नेता जोकि उनके करीबी और पार्टी के मजबूत स्तंभ माने जाते थे. वह भी अलग होकर शशि प्रताप के साथ जुड़ते जा रहे हैं.
शशि प्रताप ने 11 जुलाई को राष्ट्रीय समता पार्टी के नाम से नए राजनीतिक दल का भी गठन किया है. अभी उनके साथ लगभग 10 छोटी पार्टियां पूर्वांचल की जुड़ चुकी हैं. यही वजह है कि शशि प्रताप को पूर्वांचल में साथ लेकर चलने की प्लानिंग अखिलेश यादव ने की है. इस बारे में शशि प्रताप सिंह ने बातचीत के दौरान बताया कि वह ओमप्रकाश राजभर जी के साथ साढ़े 17 साल तक रहे थे. वह झूठ की बुनियाद पर पार्टी को चला रहे थे. मैं बार-बार उनसे कहता था कि झूठ की बुनियाद पर बना महल बहुत दिन तक टिकेगा नहीं, अपने समाज से झूठ बोलना बंद कीजिए, बात कुछ और होती है समाज से कुछ और बोलते हैं. लेकिन, वह नहीं माने.