सहारनपुर : इन दिनों मदरसों के सर्वे (survey of madrassas) को लेकर जहां मदरसा संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है वहीं इस्लामिक धर्म गुरू भी मदरसों की वकालत में उतर आए हैं. यही वजह है कि मदरसों के सर्वे के विरोध में देवबंद में उलेमाओं का राष्ट्रीय सम्मलेन (national convention) आयोजित किया जा रहा है. सम्मलेन में देश भर के उलेमा और मदरसा संचालक बुलाये गए हैं. सम्मेलन को लेकर देवबंद से ही बगावत शुरू हो गई. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने देवबंद में होने वाले उलेमाओं के सम्मेलन पर न सिर्फ रोक लगाने की मांग की है बल्कि उलेमाओं पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के जिला संयोजक राव मुशर्रफ अली पुंडीर ने सरकार से इस सम्मेलन पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि देवबंद में जब भी उलेमाओं एवं मौलानाओं का बड़ा सम्मेलन होता है तो उसके बाद देश में कहीं ना कहीं बड़ी साम्प्रदायिक घटना होती है.
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के जिला संयोजक राव मुशर्रफ अली पुंडीर ने की मांग आपको बता दें कि मदरसों के सर्वे (survey of madrassas) को लेकर इस्लामिक जगत में अफरा तफरी का माहौल है. जिसके चलते जमीयत उलेमा ए हिन्द समेत कई इस्लामिक संगठनों ने फतवों की नगरी देवबंद में 18 सितंबर को उलेमाओं और मौलानाओं का राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया है. सम्मेलन में मदरसों के सर्वे को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा. जमीयत दिल्ली में आयोजित बैठक में मदरसों के सर्वे का पहले ही विरोध कर चुकी है.
18 सितंबर को होने वाले सम्मेलन की राष्ट्रीय मुस्लिम मंच में खुले तौर मुखलाफ़त की है. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के जिला संयोजक राव मुशर्रफ अली पुंडीर ने सम्मेलन पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि देश, प्रदेश के मौलानाओं को बुलाकर देवबंद में जहरीले और नफरत भरे बयान दिए जाते हैं. जिससे देश और प्रदेश में कट्टरवाद फैलता है और अशांति का माहौल पैदा होता है. इनके जहरीले बयानों की वजह से देश में कहीं ना कहीं बड़ी घटनाएं भी हो जाती हैं. जैसे राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या और महाराष्ट्र के अमरावती में घटना हुई है. उलेमा और मौलाना भोले भाले मुसलमानों को उकसाने का काम करते हैं. इसलिए 18 सितंबर को मदरसों के सर्वे के विरोध में होने वाले सम्मेलन पर प्रतिबंध लगना अति आवश्यक है.
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राव मुशर्रफ अली पुंडीर ने कहा कि भारत सरकार की ओर से किसी भी संप्रदाय को धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार नहीं है. शिक्षा का अधिकार कानून बना हुआ है, जिसमें 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चे को शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है. संवैधानिक रूप से सभी बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए. मदरसा बोर्ड द्वारा जो मदरसे चल रहे हैं उनमें शिक्षा का अधिकार और कानून का उल्लंघन हो रहा है. मदरसों में शिक्षा का कानून लागू नहीं हो रहा है और धार्मिक इस्लामी शिक्षा प्रदान की जा रही है, जो राष्ट्र और संविधान दोनों के खिलाफ है. इसलिए राज्य एवं भारत सरकार को मदरसा बोर्ड पर तत्काल रोक लगानी चाहिए. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे समाज से कटे कटे रहते हैं और फिर अलगाववादी और कट्टरपंथी बन जाते हैं.
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