मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh University) के राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय में 100 साल से भी पुरानी उर्दू में लिखित रामायण (urdu ramayana) संरक्षित है.यह रामायण शोध छात्र छात्राओं के अलावा उर्दू में अध्ययनरत स्टूडेंट के लिए तो उपयोगी है ही, साथ ही हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल को भी पेश करती है.
मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में यूं तो एक लाख से भी अधिक पुस्तकें हैं. तमाम ग्रन्थ और धर्मग्रन्थ भी हैं लेकिन इस पुस्तकालय की जो सबसे अमूल्य धरोहर है वह है उर्दू में लिखित रामायण. राजा महेन्द्रप्रताप सिंह पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि किसी भी पुस्तकालय की विशेषता जो होती है वह उनके विशेष कलेक्शन से की जाती है. जहां तक राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय की बात है तो हमारा भी एक विशेष सेक्शन है. इसमें विशेष शैक्षिक कलेक्शन सुरक्षित ढंग से सहेजकर रखा हुआ है .
प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि, 1919 में लाहौर से उर्दू में रामायण प्रकाशित हुई थी. इस रामायण को महात्मा शिवव्रत लाल ने उर्दू में लिखा था.यह उर्दू में लिखित एक ऐसा धर्मग्रन्थ है जो कि केवल और केवल चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में ही सुरक्षित है.जहां तक इसे पढ़ने की बात है तो उर्दू भाषा जानने वाले विद्यार्थी इसे आकर पढ़ सकते हैं. जल्द ही उर्दू में लिखित रामायण को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डिजिटल फॉर्म में लांच करने की तैयारी की जा रही है. इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अगले महीने में अपलोड कर दिया जाएगा ताकि जो भी स्टूडेंट्स भविष्य में उर्दू भाषा की इस रामायण को पढ़ना चाहें तो आसानी से घर बैठे ही पढ़ सकें .