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मथुरा में 14 साल से सतीश शर्मा कर रहे समाजसेवा, फ्री में स्ट्रीट चिल्ड्रन को दे रहे शिक्षा - मथुरा में स्ट्रीट चिल्ड्रन स्कूल का संचालन

मथुरा में समाजसेवी सतीश शर्मा 14 साल से निस्वार्थ फ्री में स्ट्रीट चिल्ड्रन को शिक्षा (Satish Sharma giving free education in Mathura) दे रहे हैं. जानिए इनकी पूरी कहानी.

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Published : Oct 3, 2022, 5:22 PM IST

मथुरा: जिले में करीब 14 सालों से समाजसेवी सतीश शर्मा गरीब बेसहारा बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. उन्होंने 2008 से शिक्षा प्रदान करने का कार्य शुरू किया था. जिसके चलते उन्होंन स्ट्रीट चिल्ड्रन स्कूल का संचालन (Operation of Street Children School in Mathura) किया.

इस स्कूल में बच्चों को शिक्षा तो दी ही जाती है, इसके साथ ही बच्चों को स्टेशनरी, कपड़े, भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है. सतीश के इस चिल्ड्रन स्ट्रीट स्कूल में करीब 300 बच्चे शिक्षा लेते हैं. सतीश ने वर्ष 2008 में पहला चिल्ड्रन स्ट्रीट स्कूल मथुरा के नवादा में शुरू किया था, जिसके बाद आज मथुरा में सतीश के इस तरह के तीन सेंटर संचालित हैं. सतीश इस अभियान के पीछे अपने पिता को प्रेरणा स्रोत बताते हैं.

जानकारी देते समाजसेवी सतीश शर्मा
समाजसेवी सतीश शर्मा (Social Worker Satish Sharma in mathura) ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने मथुरा के नवादा स्थित झुग्गी झोपड़ियों से अकेले इस अभियान की शुरुआत की थी और आज मथुरा में इस तरह के तीन सेंटर संचालित हैं. उनमें लगभग 300 बच्चे पढ़ते हैं. वॉलिंटियर के सहयोग से स्ट्रीट चिल्ड्रन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिताजी से मिली थी. उनके पिता जी का नाम कैलाश चंद है और वह चांदपुर कॉलेज में प्रधानाचार्य रह चुके हैं. उनके पिताजी हमेशा से यही प्रयास करते थे कि गरीब बच्चों को भी शिक्षा मिले.

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समाजसेवी सतीश शर्मा (Social Worker Satish Sharma in mathura) ने अपने अभियान की शुरुआत वर्ष 2008 में 15 से 20 बच्चों को पढ़ाकर की थी. इसके बाद कुछ समय के लिए उन्होंने मथुरा के लक्ष्मी नगर में इस अभियान को रफ्तार दी. इसके बाद मंडी समिति के ट्रांसपोर्ट नगर में यह अभियान चलाया गया और फिर गोपाल नगर में भी चलाया गया. इस तरह जिले में कई जगहों उन्होंने यह अभियान चलाया. जिसका नतीजा यह निकला कि उनके ऐसे आज स्कूल संचालित (free education to street children in Mathura) हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें इन स्कूलों को संचालित करने के लिए कोई सरकारी फंडिंग नहीं मिल रही है. उनके करीब 12 वॉलिंटियर भी हैं उनके और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इस शिक्षा का संचालन हो पा रहा है. वहीं, धार्मिक अनुष्ठानों, त्यौहारों पर सामाजिक संस्था और समाजसेवी इन बच्चों के साथ अपनी खुशियां बांटते हैं.

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