उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / city

विश्व रेबीज दिवस 2021: दिमाग पर हमला करता है रेबीज, बन जाता जानलेवा

लखनऊ समेत कई जिलों में कुत्तों से खतरा बढ़ रहा है. वो इंसानों पर हमला कर रहे हैं. शहर के अस्पतालों में हर रोज 60 से 70 नए मरीज पहुंच रहे हैं.

world-rabies-day-2021-rabies-is-virtually-100-percent-fatal-says-vishnu-dev
world-rabies-day-2021-rabies-is-virtually-100-percent-fatal-says-vishnu-dev

By

Published : Sep 27, 2021, 3:36 PM IST

लखनऊ:स्तनधारी जंतु के काटने पर सतर्क रहें. खासकर कुत्ते, बंदर, सियार, बिल्ली जैसे जंतु से. इसके काटने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. झाड़-फूंक कराने के बजाए चिकित्सक से मिलें. अपना वैक्सीनेशन कराएं. रेबीज का वायरस सीधे दिमाग पर हमला करता है. वहीं बीमारी गंभीर होने पर मरीज की जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है. इससे पीड़ित मरीजों को भर्ती किए जाने वाले सेंटरों का भी अभाव है.

जानकारी देते बलरामपुर अस्पताल के एआरवी सेंटर के प्रभारी डॉ. विष्णुदेव
बलरामपुर अस्पताल के एआरवी सेंटर के प्रभारी डॉ. विष्णुदेव के मुताबिक वैसे तो रेबीज से संक्रमित जानवरों की तादाद पांच फीसद के करीब ही होती है, लेकिन इन जानवरों की चपेट में आने के बाद वैक्सीनेशन बेहद महत्वपूर्ण है. भूलवश यदि व्यक्ति में रेबीज का संक्रमण हो गया, तो फिर यह लाइलाज ही है. रेबीज संक्रमित जानवर के काटने से यह खतरनाक वायरस पेरीब्रल नर्व के माध्यम से व्यक्ति के तंत्रिकातंत्र (सीएनएस) पर हमला करते हुए दिमाग तक पहुंच बना लेता है. इससे पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क की मांसपेशियों में सूजन आने के साथ स्पाइनल कार्ड भी प्रभावित हो जाती है. व्यक्ति में इंसेफ्लाइटिस जैसी स्थिति हो जाती है और वह कोमा में चला जाता है. इससे उसकी मौत हो जाती है.
बलरामपुर अस्पताल में मौजूद मरीज
डॉ. विष्णुदेव के मुताबिक व्यक्ति में रेबीज का संक्रमण फैलने पर वह फोटोफोबिया, थरमोफोबिया, हाइड्रोफोबिया व एयरोफोबिया से ग्रसित हो जाता है, जिसके निम्न लक्षण होते हैं- व्यक्ति चमक यानी रोशनी से भागता है. अधिक गर्मी होने पर भी खुद में असहज महसूस करता है. पानी से दूर भागता है. तेज हवा भी बर्दाश्त नहीं कर पता. संक्रमण से व्यक्ति जानवर की भांति ही हिंसात्मक व आक्रामक हो जाता है. भूख कम हो जाती है. खाना-पीना बंद कर देता है. सांस लेने पर हांफने की आवाज के साथ सलाइवा बाहर निकलनी लगता है. व्यक्ति में बुखार, सिर दर्द, उल्टी, चक्कर आना व शारीरिक कमजोरी आना समेत आदि लक्षण होते हैं.डॉ. विष्णु देव के मुताबिक थोड़ी सी सावधानी बरत लें, तो 80 फीसद संक्रमण का खतरा टल जाता है. जैसे कुत्ता, बंदर, बिल्ली आदि स्तनधारी जानवरों के काटने से पीड़ित व्यक्ति को डिटरजेंट साबुन के पानी से घाव को 15 मिनट तक धुलना चाहिए. घाव पर पिसी मिर्च, मिट्टी का तेल, चूना, नीम की पत्ती, एसिड आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. घाव धोने के बाद एंटीसेप्टिक क्रीम, लोशन, डेटाल, स्प्रिट, बीटाडीन आदि लगाया जा सकता है. घाव खुला छोड़ दें. अधिक रक्तस्त्राव होने पर साफ पट्टी बांध सकते हैं. टांके न लगवाएं. कुत्ते के काटने पर उस पर दस दिन तक निगरानी बनाए रखें. यदि वह जिंदा है, तो संक्रमण का खतरा नहीं है.ये भी पढ़ें- किसान संगठन में दो फाड़, भानू गुट के अध्यक्ष ने कहा- भारत बंद किसानों के हित में नहीं


27-28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य रेबीज बीमारी तथा इसकी रोकथाम के बारे जागरूकता फैलाना है. राजधानी समेत कई जिलों में कुत्तों का खतरा बढ़ रहा है. वह इंसानों पर हमला कर रहे हैं. शहर के अस्पतालों में हर रोज 60 से 70 नए मरीज पहुंच रहे हैं. वहीं पुराने मरीजों को मिलाकर हर रोज 300 से 350 लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. उधर गंभीर मरीजों की भर्ती का एक मात्र सेंटर केजीएमयू के संक्रामक वार्ड में भर्ती बंद है. यहां अब कोविड आईसीयू बना दिया गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details