लखनऊ : बालिकाओं को शिक्षित होना बहुत जरूरी है. जब घर की एक महिला शिक्षित होती है तो अपनी आने वाली पीढ़ी को भी शिक्षित करती है. पढ़ाई के साथ ही अगर बालिकाओं को क्राफ्ट कोर्स, ब्यूटीशियन कोर्स, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई आता है तो महिलायें स्वावलंबी हो सकती हैं. आज के दौर में मेडिटेशन और योगा भी बालिकाओं के लिए फायदेमंद है. बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. इसका फायदा उठाना चाहिए यह बातें उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने मंगलवार को कहीं.
उप्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने मंगलवार को महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय बालगृह बालिका मोतीनगर का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान अधीक्षिका ने बताया कि संस्था में वर्तमान में 89 किशोरियां निवासरत हैं. वित्तीय वर्ष में 114 निराश्रित बालिकाओं और 43 पास्को पीड़िता कुल 157 बालिकाओं को पुर्नवासित कराया गया. संस्था की कुल 20 बालिकायें नियमित रूप से शिक्षा गृहण कर रही हैं.
अध्यक्ष विमला बाथम ने कहा कि राजकीय बाल गृह बालिका में 89 बालिकाएं रहती हैं. उस हिसाब से यह बालगृह काफी छोटा है. कुछ कमरे यहां बढ़ाने की जरूरत है. साफ-सफाई यहां पर देखी गई. बालगृह के बाहर काफी पानी जमा था. उसे साफ करने लिए कहा गया है. किचन में साफ-सफाई देखने को मिली है. सफाई से खाना बनता है. बालगृह में ज्यादातर नाबालिग बच्चियां रह रही हैं. पास्को के तहत पर कुछ बालिकाएं हैं. बहुत सारी बालिकाएं नाबालिक उम्र में मां बन चुकी हैं, वहीं वर्तमान में सात बच्चियां गर्भवती हैं.