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जानिये उत्तर प्रदेश में अपराधों पर क्या कहती है एनसीआरबी की रिपोर्ट - up is number one in crime against dalits

उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में दलितों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. एनसीआरबी (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट बता रही है कि साल 2019 व 2020 की अपेक्षा 2021 में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा है.

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यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध

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Published : Aug 30, 2022, 12:45 PM IST

Updated : Aug 30, 2022, 3:18 PM IST

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में दलितों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. एनसीआरबी (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट बता रही है कि साल 2019 व 2020 की अपेक्षा 2021 में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा है. हालांकि जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए एक लाख में 31.8 दलितों के साथ ही अपराध हुआ है जो देश में 7वें स्थान पर है. वहीं योगी मॉडल के चलते साम्प्रदायिक दंगों में लगाम लगी है.

दलितों के खिलाफ दर्ज मामले -एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में देश भर में दलितों के खिलाफ 50,744 मामले दर्ज हुए थे. इसमें 13,146 मामले सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही सामने आए थे. जबकि साल 2020 में देश भर में 50,202 मामलों में 12,714 मामले यूपी में थे. वहीं साल 2019 में 45,876 मामलों में 11,829 मामले यूपी में दर्ज हुए थे. यानीकि साल 2020 से 2021 में दलितों के खिलाफ 423 व साल 2019 की अपेक्षा 1317 मामले अधिक सामने आए है.

दलित महिलाओं के साथ बढ़ा यौन शोषण :एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में दलित महिलाओं के साथ यौन शोषण के 671 मामले दर्ज हुए, उनमें सबसे अधिक यूपी में 176 मामले हैं. जबकि साल 2020 में 132 मामले दर्ज हुए थे. साल 2021 में 198 दलितों की हत्या हुई है व साल 2020 में 214 हत्याएं हुई थी.


जनसंख्या के हिसाब से 7वां स्थान :वहीं एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो यूपी में प्रति एक लाख दलितों में महज 31.8 ही दलितों के साथ अत्याचार या अपराध हुआ है. जो देश में 7वें स्थान पर है. पहले स्थान पर मध्यप्रदेश है, जहां प्रति एक लाख में 63.6, दूसरे स्थान पर कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान में 61.6 व तीसरे स्थान पर बिहार है जहां 35.3 दर है.


2021 में सांप्रदायिक हिंसा का सिर्फ एक मामला :यूपी में दंगाइयों व बलवाइयों के खिलाफ हुए योगी सरकार के एक्शन ने दंगे भड़काने व करने वालों की कमर तोड़ कर रख दी है. नतीजन 2021 में पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज हुए, जिनमें से उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही मामला दर्ज हुआ. जबकि महाराष्ट्र में 100, झारखण्ड में 77 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 और 2020 में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ.


साइबर क्राइम में आई कमी :यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइबर क्राइम के प्रति चिंता को देखते हुए योगी सरकार ने साइबर क्रिमनल्स पर शिकंजा कसने के लिए 18 नए साइबर थानों के निर्माण से लेकर हर थाने पर हेल्प डेस्क बनाई, जिसका परिणाम रहा है कि यूपी में साइबर क्राइम रेट कम हुआ है. एनसीआरबी (NCRB) के डेटा की मानें तो साइबर क्राइम के मामले में भी 22.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. यूपी में 2019 में साइबर क्राइम के 11416 मामले दर्ज किए गए जो 2021 में घटकर 8829 हो गए.



एनसीआरबी की 2021 रिपोर्ट के मुताबिक, हत्या में 24वां, रेप में 23वां, लूट में 25वां, डकैती में 29वां, महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों में 16वां, बच्चों के खिलाफ हुए अपराध में 28वां स्थान है. यही नहीं अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में भी यूपी ने अपनी स्थिति सुधारी है. रिपोर्ट के मुताबिक, महिला संबंधित अपराधों मे 7713 अपराधियों का दोष सिद्ध कराने में प्रथम स्थान पर है. साइबर अपराधों में दोषसिद्ध, शस्त्रों का जब्तीकरण मामले में भी यूपी पहले स्थान पर है. वहीं अपराधियों की 129.4 करोड़ की संपत्तियों को बरामद कर देश में चौथे स्थान पर है.


एनसीआरबी रिपोर्ट पर विपक्ष हमलावर

कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी के डीएनए दलित विरोधी है. वो वोट के लिए नाटक करते है दलितों के घर खाना खाने का. बीजेपी के मन व दिल में कही भी दलित नहीं हैं. इसलिए दलित इस सरकार में पिस रहा है. समाजवादी पार्टी नेता मनोज यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में दलितों के साथ अत्याचार बढ़ रहा है. सूबे में न ही महिलायें सुरक्षित हैं और न ही दलित. पूरी तरह सामंतवाद हावी है.

यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध पर सपा नेता कहते हैं कि भाजपा कहती है कि महिलाओं के सम्मान में बीजेपी मैदान में, बल्कि राज्य में दलित महिलाओं व बच्चों के लिए सुकून से रहने के लिए कोई भी जगह नहीं बची है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता अशोक पांडेय कहते हैं कि आतंकवादियों का मुकदमा हटाने वाली पार्टी दलितों की बात कर रही है. सपा सरकार में दलितों और कितना अत्याचार हुआ है, ये प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है. हमारी सरकार में हर शिकायत पर एफआईआर दर्ज होती है, तो आंकड़े दिखते हैं. उनकी सरकार में तो थानों से भगा दिया जाता था.


वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ राघवेंद्र त्रिपाठी का भी मानना है कि पूर्व की सरकारों में दलित वर्ग खासकर गरीब वर्ग के दलितों की सुनवाई थानों में नहीं होती थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपराध थानों में मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, यही कारण है कि अपराधों की संख्या भी अधिक दिख रही है. हालांकि इस संख्या को कम करने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही है. अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, जिससे दलित उत्पीड़न रोका जा सके.

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Last Updated : Aug 30, 2022, 3:18 PM IST

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