लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सांसद आदर्श ग्राम योजना (Sansad Adarsh Gram Yojana) से कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के तमाम सांसद दूरी बनाए हुए हैं. योजना के अंतर्गत सांसदों को 5-5 गांव गोद लिए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कई मंत्री और कई सांसद इस योजना से दूरी बनाए हुए हैं, तो कुछ लोग सिर्फ एक एक गांव ही गोद लिए हुए हैं. ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) की तरफ से कई बार पत्र भेजकर गांव गोद लिए जाने के लिए केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों से अनुरोध किया गया है.
मंत्रियों और सांसदों की असंवेदनशीलता के चलते कई गांव गोद नहीं लिये जा सके. ऐसे में गांव के विकास की योजना पिछड़ती चली जा रही है. सांसद आदर्श ग्राम योजना के माध्यम से लोकसभा सांसदों से लेकर राज्यसभा सांसदों को 5-5 गांव गोद लेकर उसे विकसित करने का आह्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इसके लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू की थी, लेकिन उत्तर प्रदेश से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पद को सुशोभित करने वाले कई मंत्री इस योजना को फ्लॉप करने पर ही जुटे हुए हैं और उन्होंने गांव गोद नहीं लिए हैं.
पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना का हाल
ईटीवी भारत को ग्रामीण विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, चंदौली से सांसद व केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, यूपी से राज्यसभा सांसद केंद्रीय शहरी आवास व पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी व उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री व सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी, धौरहरा से सांसद रेखा वर्मा ने एक भी गांव गोद नहीं लिया है. इससे इस योजना को लेकर सांसद और केंद्रीय मंत्रियों की बेरुखी समझी जा सकती है. इसके अलावा अगर बात सांसदों की करें तो अकबरपुर से सांसद देवेंद्र सिंह भोले, कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह, सांसद राजवीर सिंह, भदोही से सांसद रमेश चंद ने भी एक भी गांव को गोद नहीं लिया है. इसी तरह राज्यसभा सांसदों की बात करें तो भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य, सुरेंद्र सिंह नागर, हरिद्वार दुबे, नीरज शेखर हरनाथ सिंह यादव और पूर्व डीजीपी रहे बृजलाल ने भी एक भी गांव को गोद नहीं लिया है.
इसके अलावा सिर्फ जिन सांसदों ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत खानापूर्ति की है और एक ही गांव को गोद लिया है. उनमें केंद्रीय मंत्री व अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी, फतेहपुर से सांसद केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, मिर्जापुर से अपना दल की सांसद केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम, बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह, इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया, फैजाबाद से सांसद लल्लू सिंह, हरदोई सांसद जयप्रकाश, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक, कौशांबी सांसद विनोद सोनकर, प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता, मेरठ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल ऐसे नाम हैं जिन्होंने सिर्फ खानापूर्ति के लिए एक-एक गांव गोद लिए हैं. जबकि, योजना के अनुसार 5-5 गांव को गोद लेकर गांव का संपूर्ण विकास मॉडल के रूप में करने का आह्वान प्रधानमंत्री ने किया था.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश से भाजपा के जिन सांसदों ने 5-5 गांव गोद लेकर योजना को आगे बढ़ाने का काम तेजी से किया है, उनमें मुख्य रूप से फर्रुखाबाद से सांसद मुकेश सिंह राजपूत, पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी, उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज, बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह, बहराइच से सांसद भंवरलाल, बरेली से सांसद संतोष कुमार गंगवार प्रमुख रूप से हैं. ग्रामीण विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि यह मामला बीजेपी के वरिष्ठ सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों से जुड़ा हुआ है, ऐसे में उनका नाम लिखना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि विभाग की तरफ से सभी सांसदों को पत्र भेजा गया है और यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना के अनुसार, 5-5 गांव गोद लेने का काम किया जाए. इसके साथ ही ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से अब इसकी पूरी रिपोर्ट ग्रामीण विकास मंत्रालय को भी भेजी जा रही है. जिससे उच्च स्तर पर निर्णय लेते हुए सांसद व केंद्रीय मंत्रियों को पत्राचार करते हुए पीएम मोदी की इस योजना को आगे बढ़ाने का काम कराया जा सके.
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भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के प्रदेश प्रवक्ता हीरो वाजपेयी ने कहा कि बहुत से सांसदों ने गांव को गोद लिया है, जो लोग नहीं लिए होंगे, वह शीघ्र गांव गोद लेंगे. कई सांसद मंत्रियों के गांव गोद लेने की योजना प्रस्तावित है, जिनके खाते में जो गांव गोद लेने का काम है वह जल्द इस काम को आगे बढ़ाएंगे, जिससे गांव का विकास तेजी से आगे कराया जा सकेगा.
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