लखनऊ : लविवि (Lucknow University) के नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड पाने के बाद सभी संबद्ध डिग्री कॉलेजों के नैक प्रक्रिया को शुरू कराने की कवायद को जहां एक और तेज कर दिया है, वहीं कॉलेजों की ओर से कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई जा रही है. कॉलेजों की ओर से इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी का बहाना व एकेडमिक सुविधाएं पर्याप्त न होने का आधार बनाकर नैक से पीछे हट रहे हैं, जबकि खुद राजभवन से सभी कॉलेजों को हर हाल में नैक कराने का आर्डर दिया जा चुका है. वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी कॉलेजों को अगले 6 महीने में नैक मूल्यांकन की तैयारियों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है.
कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल के डीन प्रोफेसर अवधेश त्रिपाठी ने बताया कि एलयू के नैक मूल्यांकन के बाद कॉलेजों को भी अपने यहां नैक की तैयारी शुरू करने का आदेश भेजा जा चुका है. इसके तहत सभी कॉलेजों को अगले 6 महीने में नैक की तैयारी कर उसका प्रजेंटेशन यूनिवर्सिटी को प्रस्तुत करने को कहा है. साथ ही कॉलेजों को कहा गया है कि अगर वह नैक के लिए तैयार हैं तो अगले महीने तक उसके लिए आवेदन की प्रक्रिया को पूर्ण कर दें, ताकि समय पर उनको लखनऊ विश्वविद्यालय से जो भी मदद चाहिए वह उपलब्ध कराई जा सके. मौजूदा समय में लखनऊ में सिर्फ शिया पीजी कॉलेज नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया से गुजर रहा है. यहां पर 19 अक्टूबर को नैक की टीम मूल्यांकन के लिए आने वाली है.
नैक प्रक्रिया को शुरू कराने की कवायद
लखनऊ यूनिवर्सिटी (Lucknow University) में मौजूदा समय में 545 डिग्री कॉलेज संबद्ध हैं, इनमें 174 डिग्री कॉलेज लखनऊ में शेष रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर व हरदोई में हैं. इनमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति हरदोई के डिग्री कॉलेजों की है जहां पर एक भी कॉलेज ने नैक नहीं कराया है. एलयू से संबद्ध कुल 28 कॉलेजों के पास ही मौजूदा समय में नैक की ग्रेडिंग प्राप्त है. इनमें से भी सबसे अधिक 26 कॉलेज लखनऊ के हैं. जिसमें से चार कॉलेज सेल्फ फाइनेंस के हैं. शेष दो कॉलेज सीतापुर व रायबरेली के हैं.
लखनऊ यूनिवर्सिटी (Lucknow University) एफिलिएटेड डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे का कहना है कि मौजूदा समय में किसी भी डिग्री कॉलेज के पास पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. यहां तक कि कॉलेजों में छात्र और शिक्षक का अनुपात भी मानक के अनुरूप नहीं है. ऐसे में कॉलेजों के सामने नैक मूल्यांकन के लिए जाने पर उनको बहुत ही खराब ग्रेडिंग मिलने की संभावना है. जिस कारण से ज्यादातर डिग्री कॉलेज इससे पीछे हट रहे हैं. डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि एलयू से संबद्ध ज्यादातर राजकीय व एडेड डिग्री कॉलेजों में इस साल नियमित प्राचार्यों की नियुक्ति हुई है. अभी उनको नैक जैसे संस्था से मूल्यांकन कराने के लिए तैयारियां पूर्ण करने के लिए काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है.
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मनोज पांडे ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय कॉलेजों से परीक्षा फीस के नाम पर लाखों रुपए लेता है. नियमानुसार यूनिवर्सिटी को 60:40 के अनुपात में परीक्षा फीस का पैसा देना चाहिए, लेकिन यूनिवर्सिटी मनमानी करते हुए एक भी रुपए डिग्री कॉलेजों को नहीं देती है. ऐसे में एडेड कॉलेजों के पास इंफ्रास्ट्रक्चर और एकेडमिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कहीं से कोई ग्रांड नहीं मिलती है. यूनिवर्सिटी और राजभवन की ओर से बार-बार कॉलेजों को नैक कराने के लिए पत्र भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में जल्द ही राज्यपाल को पत्र लिखकर कॉलेजों की मौजूदा हालात से अवगत कराने के साथ ही नैक के लिए यूनिवर्सिटी की तरफ से पर्याप्त मदद दिलाने की मांग की जाएगी.
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